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Vairagya Vaasna Utsarg / वैराग्य वासना उत्सर्ग

Author Name: Sanjay Krishnna | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

वासना उस मादक पदार्थ की भाँति है जिसका आस्वादन करने के पश्चात उससे विरत होना अत्यन्त दुष्कर है। अखण्ड ब्रह्मचर्य व्रतधारी आचार्य चतुरसेन का व्रत एक बार भंग हुआ तो उनकी इंद्रियां सामान्य व्यक्ति की भाँति उन्मुक्त हो गईं तथा वे उस सुखद अनुभव की पुनरावृत्ति हेतु उद्यत हो उठे। परिणामतः काम पिपासा एवं सत्तालोलुपता के कारण एक उच्च कोटि के मनीषी का सर्वस्व भस्म हो गया।

कर्तव्य विमुख कुमार गंधर्व आत्मसिद्धि हेतु वैराग्य का प्रतिमान स्थापित करने चले थे, किंतु आत्मवंचना के वशीभूत एक नृत्यांगना के प्रेमपाश में बँध गए, वहीं सामाजिक रूप से तिरस्कृत पद्मगंधा ने कर्तव्यपथ का वरण कर यह स्थापित कर दिया कि संसार ही मनुष्य की कर्मस्थली है तथा कर्तव्यपालन ही सर्वोच्च सिद्धि है।

वैराग्य, वासना, उत्सर्ग एक प्रख्यात ऋषि के पतन, एक युवराज के आत्मबोध तथा एक नर्तकी के उत्सर्ग की गाथा है जो हमें मानव मन की विकृतियों तथा उसके दुष्परिणामों से अवगत कराने के साथ-साथ जीवन के यथार्थ से भिज्ञ कराती है।

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संजय कृष्ण

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू),नई दिल्ली से स्नातक, तत्पश्चात अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक।
 यश भारती से सम्मानित साहित्यकार पिता डा. राम सिंह से प्रेरित हो बाल्यावस्था में ही कविता तथा कहानी लेखन आरंभ।
मानवीय मूल्य एवं संवेदनाएं तथा सृष्टि-संरक्षण रचना यात्रा के प्रमुख स्तम्भ।अतीत की पृष्ठभूमि में समकालीन सरोकारों को समन्वित कर नव-चेतना, नव-निर्माण का संदेश। देश, समाज तथा लोक उन्नयन हेतु प्रतिबद्ध लेखन।
 निवर्तमान राज्य सूचना आयुक्त तथा सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग।
 अंग्रेजी में एक कहानी संग्रह Silence is Fatal तथा एक उपन्यास Love, Lust and Avarice प्रकाशित। हिंदी में ही एक कविता संग्रह भी शीघ्र प्रकाश्य।

सम्पर्क-
ई-मेलः majorsanjay7@gmail.com

फोनः+91-955-711-6601

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