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Vaishvik buddha buddha ka bhag do aur antim / वैश्विक बुद्ध - बुद्ध का भाग दो और अन्तिम

Author Name: Lava Kush Singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विषय- सूची

प्रारम्भ के पहले दिव्य-दृष्टि
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार काल, युग बोध एवं अवतार

भाग-1 : चौथा युग : कलियुग

बुद्ध

भाग-2 : बुद्ध से वैश्विक बुद्ध तक

निम्न विषयों की स्थिति

1. राज्य अर्थात् शासन की स्थिति  
2. विज्ञान की स्थिति 
3. धर्म की स्थिति  
4. व्यापार की स्थिति 
5. समाज की स्थिति  
6. परिवार की स्थिति
7. व्यक्ति की स्थिति 
निम्न विषयों का परिणाम
01. राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
02. विज्ञान का परिणाम 
03. धर्म का परिणाम  
04. व्यापार का परिणाम 
05. समाज का परिणाम 
06. परिवार का परिणाम 
07. व्यक्ति का परिणाम 
स्थिति के विकास का परिणाम 
विज्ञान का राज्य और धर्म पर प्रभाव   
ब्रह्माण्डीय स्थिति और परिणाम 
विश्व के समक्ष भारत की स्थिति और परिणाम 
दृश्य पदार्थ विज्ञान और अदृश्य आध्यात्म विज्ञान-स्थिति एवं परिणाम
सार्वभौम एकीकरण-स्थिति एवं परिणाम

भाग-3 : पाँचवाँयुग : सत्ययुग/स्वर्णयुग
सन् 2016 ई0
सन् 2017 ई0
सन् 2018 ई0
सन् 2019 ई0
सन् 2020 ई0

भाग-4 : वैश्विक बुद्ध - बुद्ध का भाग दो और अन्तिम

लव कुश सिंह “विश्वमानव”
कर्म वेदान्त और विकास दर्शन
“सम्पूर्ण मानक” का विकास भारतीय आध्यात्म-दर्शन का मूल और अन्तिम लक्ष्य
समाज रचना और व्यापार का आधार
सृष्टि, ईश्वरीय समाज और व्यापार

भाग-5 : विश्व शान्ति का अन्तिम मार्ग

भाग-6 : समष्टि धर्म दृष्टि

विश्वशास्त्र
विश्वशास्त्र : भूमिका
विश्वशास्त्र : शास्त्र-साहित्य समीक्षा
विश्वशास्त्र की स्थापना
विश्वशास्त्र की रचना क्यों?
विश्वशास्त्र के बाद का मनुष्य, समाज और शासन
एक ही विश्वशास्त्र साहित्य के विभिन्न नाम

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लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

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