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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रोफ़ेसर सीएनआर राव लिविंग लेजन्ड हैं। आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के 70वें जन्मदिन पर कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को यक़ीन ही नहीं होगा कि हाड़-माँस का यह व्यक्ति कभी पृथ्वी पर चला भी होगा।” ये शब्द महात्मा के सम्मान में कहे गये थे। प्रोफ़ेसर सीएनआर राव के 85वें जन्मदिवस पर मैं इन्हीं शब्दों को दोहराना चाहता हूँ।
प्रोफ़ेसर राव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्थान हैं। वे अनोखे, अद्वितीय और अद्भुत हैं। मैं ख़ुशनसीब हूँ कि हमारी पीढ़ी ने उन्हें देखा है, स्पर्श किया है, महसूस किया है, अनुभव किया है, उनसे सीखा है और प्रेरणा ली है।
मैंने प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को एक वैज्ञानिक की तरह, वैज्ञानिकों का नेतृत्व करने वाले एक नायक की तरह, नायकों के नायक की तरह, विज्ञान के लिए नये संस्थान बनाने वाले महाव्यक्ति के तौर पर देखा है। मैंने हमेशा उनमें एक ऐसा दुर्लभ शख़्स पाया है, जो सबसे एक जैसी गर्मजोशी से मिलता है और जिनमें दूसरों के लिए भरपूर हमदर्दी है। उनके भीतर मौजूद बच्चों जैसे उत्साह और जोश को भी मैंने देखा है। मैंने उनके अंदर एक अद्भुत साहसी व्यक्तित्व भी देखा है।
- ‘पद्मविभूषण’ रघुनाथ अनंत माशेलकर
विश्वविख्यात वैज्ञानिक
डॉ. अरविंद यादव
अरविंद यादव जाने-माने पत्रकार और लेखक हैं। पत्रकार के नाते उन्होंने बहुत कुछ देखा, सुना और अनुभव किया है। बहुत कहा है और बहुत लिखा भी है। लेखनी के ज़रिये असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उनकी लड़ाई जारी है। समाज में दबे-कुचले लोगों के लिए संघर्ष ने उन्हें पत्रकारों की फ़ौज में अलग पहचान दिलायी है। पिछले दो-तीन सालों से उनका ज़्यादा ध्यान ऐसे लोगों के बारे में कहानियाँ/लेख लिखने पर है, जो देश-समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में जुटे हैं। कामयाब लोगों के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को जानना और उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश करना अब इनकी पहली पसंद है। वे देश में हो रहे अच्छे कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने के पक्षधर हैं। प्रेरणादायक व्यक्तित्वों से जुड़ी कहानियों को किताबों की शक्ल भी दे चुके हैं।
अरविंद साहित्यकार भी हैं। साहित्यिक कहानियाँ भी लिखते हैं। आलोचना में भी उनकी गहन दिलचस्पी है। हैदराबाद में जन्मे और वहीं पले-बढ़े अरविंद ने विज्ञान, मनोविज्ञान और क़ानून का भी अध्ययन किया। वे दक्षिण भारत की राजनीति और संस्कृति के बड़े जानकार हैं। ख़बरों और कहानियों की खोज में कई गाँवों और शहरों का दौरा कर चुके हैं। यात्राओं का दौर थमने वाला भी नहीं है।
एक पत्रकार के रूप में स्थापित, चर्चित और प्रसिद्ध हो चुके अरविंद अब एक कहानीकार और जीवनी-लेखक के रूप में भी ख्याति पा रहे हैं। भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पद्मावती, जानी-जानी सामाजिक कार्यकर्ता फूलबासन यादव और मशहूर उद्यमी और उद्योगपति सरदार जोध सिंह की जीवनियों के अलावा उनकी 15 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
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