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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसच में एकांत में रहने का एक अलग ही अनुभव होता है क्योंकि एकांत ही एकमात्र साधन है जिससे इंसान अपने बारे में या प्रकृति के बारे में स्वतंत्रता पूर्वक सोच विचार कर सकता है।
यहां तक की बड़े-बड़े दार्शनिक तथा पैगंबर, अवतार भी इसी प्रकार से एकांत में रहकर सोच विचार करते थे।
पैगंबर तथा अवतार के बारे में तो कहा जा सकता है कि वह ईश्वर के बारे में ही चिंतन मनन करते होंगे लेकिन दार्शनिक तथा अन्य व्यक्ति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि क्या सोचते होंगे ? मुझे लगता है कि वह स्वयं अपने बारे में ही या प्रकृति के बारे में ही सोच विचार करते होंगे। मनुष्य कितना भी व्यस्त रहे लेकिन जीवन में एक या दो बार ऐसे पल आते हैं जिसमें एकांत में रहकर अपने बारे में या प्रकृति के बारे में सोच विचार करता है।
और जब कभी दुख होता है तब भी वह एकांत में रहना पसंद करता है।
इन्हीं सब विषयों पर एकांत में क्यों इंसान रहना पसंद कर लेता है? उसी के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया है साथ में जो बड़े पैगंबर या अवतार हैं उनके बारे में भी दिया गया है। कृपया इस पुस्तक को पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें, जिससे मैं आपकी जानकारी को साझा कर सकूं ।
धन्यवाद
अब्दुल वहीद
मेरा नाम अब्दुल वहीद है, मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है। मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है। जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए-नए खोजो की जानकारी में प्रयुक्त रहा है। मैं B.Sc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सड़क दुघर्टना में सर्वगवास हो गया था ।
मेरे पिता जी की दो बातें जो, मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है
प्रथम– इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो,
दूसरा– अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो।
इसलिए घर की जिम्मेदारी, फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । मेरे लेख प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में भी छप चुके हैं। यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरुर अवगत कराये ।
पुस्तक पढ़ने के लिए
धन्यवाद,
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