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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palविषय- सूची
भाग-1 : दर्शन और दार्शनिक
”दर्शन“ शब्द का अर्थ
हिन्दू दर्शन-परम्परा
दर्शनशास्त्र का क्षेत्र
भाग-2 : आस्तिक (ईश्वर कारण है अर्थात ईश्वर को मानना)
1. स्वतन्त्र आधार
1. कपिल मुनि - सांख्य दर्शन
2. पतंजलि - योग दर्शन
3. महर्षि गौतम- न्याय दर्शन
4. कणाद- वैशेषिक दर्शन
2. वैदिक ग्रन्थों पर आधारित
अ. कर्मकाण्ड पर आधारित
1. जैमिनि- मीमांसा दर्शन
ब. ज्ञानकाण्ड अर्थात उपनिषद् पर आधारित
1. द्वैताद्वैत वेदांत दर्शन - श्रीमद् निम्बार्काचार्य
2. अद्वैत वेदांत दर्शन - आदि शंकराचार्य
3. विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन - श्रीमद् रामानुजाचार्य
4. द्वैत वेदांत दर्शन - श्रीमद् माध्वाचार्य
5. शुद्धाद्वैत वेदांत दर्शन - श्रीमद् वल्लभाचार्य
भाग-3 : नास्तिक (ईश्वर कारण नहीं है अर्थात ईश्वर को न मानना)
1. चार्वाक- चार्वाक दर्शन
2. भगवान महावीर- जैन दर्शन
3. भगवान बुद्ध- बौद्ध दर्शन
भाग-4 : धर्म
धर्म का अर्थ, रिलिजन
परिभाषा, तत्व चिंतन और आवश्यकता
दर्शन, धर्मदर्शन, विज्ञान, नैतिकता
वस्तु तत्व एवं प्रतीक
धर्मसमभाव की अवधारणा और विश्वधर्म का आधार
भाग-5 : कर्म वेदान्त और विकास दर्शन
स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि
कर्म वेदान्त और विकास दर्शन
एकात्मकर्मवाद और विश्व का भविष्य
विश्व का मूल मन्त्र- “जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय ज्ञान-जय कर्मज्ञान“
लव कुश सिंह “विश्वमानव”
कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।
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