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सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।
आइए, इससे पहले कि जवानी बुढ़ापे के दरवाजे पर दस्तक दे, आपको दुनिया की सैर प
आइए, इससे पहले कि जवानी बुढ़ापे के दरवाजे पर दस्तक दे, आपको दुनिया की सैर पर लिए चलता हूं। यह पुस्तक पिछले एक दशक की देश के अलग अलग हिस्सों की यात्राओं का कथाकरण हैं। इसमें उत्तर, पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र की यात्राओं को एक दस्तावेज में समेटने का प्रयास किया है। अरुणाचल प्रदेश से लेकर द्वारिका और अमरनाथ के नजदीक पहलगाम से लगा सुदूर पश्चिमी घाट पर मौजूद दीव के समंदर की यात्रा के अनुभवों को अनुभव में बांधने का प्रयास किया है। यात्रा कथा में सोमनाथ के ध्वंस और सृजन की गाथा सुनाई देगी। द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण के कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक पराक्रम और द्वारिका में उनकी दूरदृष्टी और भव्यता की निशानियां भी अनुभव होंगी। यह केवल पहाड़, समंदर, जंगल और रेत की यात्रा भर नहीं है। इसमें लोकजीवन का भी दर्शन है। आध्यात्म को महसूस करने की कोशिश है।
हिसार के बस स्टैंड से कुछ मील दूर बायपास पर हांसी के रास्ते पर अमरूदों का ठेला लगाने वाला हीरालाल उस लम्बे और अजी மேலும் வாசிக்க...
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