मनीषी पं. जनार्दनराय नागर द्वारा रचित जगद्गुरु शंकराचार्य उपन्यास श्रृंखला में यह 'शंकर-सन्देश' है। महर्षि बादरायण के सन्देशानुसार शंकर ने सच्चिदानन्द स्वरूप में सन्देश दिया
जगद्गुरू शंकराचार्य- शंकर के जीवन वृत को आधार बनाकर पण्डित जनार्दन राय नागर द्वारा लिखे गये दस उपन्यासों में यह ‘‘शंकर साक्षात्’’ है। इस उपन्यास का कथानक आत्म जन्य है। जिसमें ज
‘‘जगद्गुरू शंकराचार्य’’- शंकर के जीवन वृत्त को आधार बनाकर पण्डित जनार्दन राय नागर द्वारा लिखे गये दस उपन्यासों में से यह ‘‘शंकर-दीक्षा’’ है। दीक्षा लेने के लिए गुरू गोविन्द के
‘‘जगद्गुरू शंकराचार्य’’ शंकर के जीवन वृत्त को आधार बनाकर लिखा गया पण्डित जनार्दन राय नागर के इस उपन्यास का नाम ‘‘शंकर-सन्यास’’ है। बाल्यावस्था से ही अपने चमत्कारों के कारण शं
इस उपन्यास में ‘हनुमान’ एक अलौकिक पात्र के रूप में दशार्य गये हैं। ‘‘यह क्या पार्थिव शिशु हैं? नहीं, केसरी!... यह आञ्जनेय, केसरीनन्दन, निस्संदेह सभी देवताओं और शक्तियों के पुंज सा