Hindi

एक मजदूर की पत्नी
By Paras saini in Poetry | वाचलं गेलेलं: 261 | लाइक: 0
वह अपने पति को भेज रही थी।इस अरमानों के साथ। की उसने जाने से ही घर मे पकेगी 2 समय भात, अगर वह नही जाता है।तो भी नही है क  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:14 AM
Mai...
By Kirti Phirke in Crime | वाचलं गेलेलं: 288 | लाइक: 1
Mai.... Khoya nhi kuch bhi par baki muzhmai kuch nhi... Mai khudh ko sambhale mai lagi rahi bhuli mai jamana nhi... Khud ko jatan kya karti kaidkhane mai afsos bacha jara bhi nhi... Ankhir kya silhati mai sapno mai haqeekat mai kuch rakha hi nhi... Jeendgi mai khoya itna maine kya apna hai kabhi jan  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 12:22 PM
चाय- हर हिंदुस्तानी का पहला प्यार
By samar aryan in Poetry | वाचलं गेलेलं: 217 | लाइक: 0
चाय - हर हिंदुस्तानी का पहला प्यार❤️ _________________________________ थोड़ी सी कड़क, थोड़ी सी लाल और जो ही मिलाया इसमें चीनी स्वाद अनुसा  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 06:31 PM
होंठों पे लिपिस्टिक और पैरों में पायल
By Ashu Choudhary ''Ashutosh in Poetry | वाचलं गेलेलं: 226 | लाइक: 0
होंठों पे लिपिस्टिक और पैरों में पायल तुम्हारी अदाएं हमें कर जाती हैं घायल। न दोस्तों से न दुश्मनों से कोई गिला मु  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 10:54 PM
हिचक
By Kamlesh Yadav in Poetry | वाचलं गेलेलं: 767 | लाइक: 0
एक हिचक सी आ गयी है उसके लहज़े में , गुमशुदगी समा गयी है उसके होने में , खामोश इश्क़ था , ज़िंदा था , उम्मीद पे , निसार ऐ कब  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:18 PM
बह जाने दिया
By Kamlesh Yadav in Poetry | वाचलं गेलेलं: 392 | लाइक: 0
बह जाने दिया , पलकों से आज कुछ यादों को , बचपन के पलों को , दिल को सहलाने दिया , आज फिर मुड़ चला दिल माँ के आँचल की ओर , ढूंढ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:25 PM
"फिर भी क्यूं बने अंजान तू ?"
By Dolafz in Poetry | वाचलं गेलेलं: 261 | लाइक: 1
चुपके से देख मुझे मुस्कूराय तू , बिन सुने पढ लेता हर लफ्ज तू , जानता हे हर हाल मेरा; फिर भी क्यूं बने अंजान तू ? जब ना दि  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:27 PM
संयुक्त परिवार
By Sheetal Chitlangiya in General Literary | वाचलं गेलेलं: 267 | लाइक: 0
संयुक्त परिवार, जैसे हीरे मोती का हार,  अतीत के पन्नों को पलट कर देखती हूँ तो लगता है सबकुछ था कितना ख़ास,  अपने थे अ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:43 PM
"ऐ चांद, ऐक गुज़ारिश हे तुमसे"
By Dolafz in Poetry | वाचलं गेलेलं: 171 | लाइक: 1
ऐ चांद, ऐक गुज़ारिश हे तुमसे ; गर मिले कहिं हमसफ़र मेरा बताना उसे : क्यों भटके गुमराह मंजिलो पे,  जबकि खदा महबूब तेरे  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 19,2020 11:44 PM
रोटी
By Chandni Sethi Kochar in True Story | वाचलं गेलेलं: 766 | लाइक: 0
*रोटी* ----------------- एक दिन अनीता और उसका पति अनिल घूमने के लिए नैनीताल जानें वाले थे  , वैसे तो दोनों को समय नहीं  मिलता थ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 01:30 AM
बेटी
By Chandni Sethi Kochar in True Story | वाचलं गेलेलं: 766 | लाइक: 0
एक शहर में एक लड़की रहती थी जिसका नाम जहाना था , वह दिखने में बहुत ही सुंदर थी कद लम्बा , बाल रस्सी की तरह एक दम सीधे ! वह   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 01:33 AM
उधेड़बुन |
By Kaveri Nandan Chandra in Poetry | वाचलं गेलेलं: 191 | लाइक: 2
करवट करवट रात कटी,  परत परत जब खबर खुली,   दबे पाँव आये दुश्मन की,  दस्तक से मन में हूँक उठी |   हर तरफ थे पसरे सन्  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 02:18 AM
चलो चले कहीं...
By pragati singhania in Poetry | वाचलं गेलेलं: 400 | लाइक: 0
चलो चले कहीं इस थकान भरी ज़िन्दगी से परे ! चलो बैठें ,बतियाएं, जियें दो पल सुकून के शांति से ! देखें उस हरी घास पर सर रख   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 08:06 AM
तू भी जी ले...
By Deshna Shah in Poetry | वाचलं गेलेलं: 190 | लाइक: 0
आज वक़्त कुछ ठहर सा गया है, तो इस ठहरे वक़्त के लम्हे को तू जी ले। रास्ते और गलियों के सन्नाटे मे, मन की आवाज़ सुनकर कु  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 09:02 AM
देखा है मैंने लोगों को बदलते..!
By Rahul Kiran in Poetry | वाचलं गेलेलं: 644 | लाइक: 1
                       देखा है? मैने देखा है लोगों को करीब से बदलते देखा है...!  जो लोग बातों - बातों में ही अ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख May 20,2020 09:20 AM