Notion Press
Sign in to enhance your reading experience
You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Sign in to enhance your reading experience
Sign in to continue reading.
Join India's Largest Community of Writers & Readers
An Excellent and Dedicated Team with an established presence in the publishing industry.
Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryअरविन्द यादव ने परिश्रमपूर्वक तथ्यों का संकलन और विश्लेषण किया है। शोध-प्रबंध विषय-वस्तु, भाषा-शैली और प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से स्तरीय है। शोधार्थी ने शोध-प्रबंध में हिन्दी आलोचना के विकास-क्रम को विवेचित किया है। प्रत्येक युग – भारतेन्दु-युग, द्विवेदी-युग, छायावाद, प्रगतिवाद आदि में हिन्दी आलोचना की प्रवित्तियों को लक्षित करते हुए तुलनात्मक विवेचना भी की है। आलोचना की विभिन्न पद्धतियों का भी सम्यक् विश्लेषण किया गया है।
डॉ. हरिशंकर मिश्र
प्रोफेसर
हिन्दी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय , लखनऊ, उत्तरप्रदेश
20 मई, 2010
आलोचना जैसे गंभीर विषय पर गंभीरतापूर्वक किया गया यह एक सार्थक शोध-कार्य है।
डॉ. माधव सोनटक्के
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
5 मई, 2010
अरविन्द यादव
अरविन्द यादव पत्रकार हैं। पिछले 23 सालों से पत्रकारिता के धर्म को बखूबी निभा रहे हैं। बतौर पत्रकार उन्होंने बहुत कुछ देखा, सुना और अनुभव किया है। बहुत कहा है और बहुत लिखा भी है। लेखनी के जरिये असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी है। समाज में दबे-कुचले लोगों के लिए संघर्ष ने उन्हें पत्रकारों की फौज में अलग पहचान दिलाई है। पिछले दो-तीन सालों से उनका ज्यादा ध्यान ऐसे लोगों के बारे में कहानियाँ/लेख लिखने पर है, जो देश-समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में जुटे हैं।
कामयाब लोगों के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को जानना और उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश करना अब इनकी पहली पसंद है। वे देश और समाज में हो रहे अच्छे कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने के पक्षधर हैं।
अरविन्द साहित्यकार भी हैं। साहित्यिक कहानियाँ लिखते हैं। आलोचना में भी उनकी गहन दिलचस्पी है। हिन्दी आलोचना की वाचिक परंपरा के हिमायती हैं।
हैदराबाद में जन्में और वहीं पले-बढ़े अरविंद की सारी शिक्षा भी हैदराबाद में ही हुई। विज्ञान, मनोविज्ञान और कानून का भी अध्ययन किया। वे दक्षिण भारत की राजनीति और संस्कृति के बड़े जानकार हैं। खबरों और कहानियों की खोज में कई गाँवों और शहरों का दौरा कर चुके हैं। यात्राओं का दौर थमने वाला भी नहीं है।
एक पत्रकार के रूप में स्थापित, चर्चित और प्रसिद्ध हो चुके अरविन्द अब एक कहानीकार और जीवनीकार के रूप में भी ख्याति पा रहे हैं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.