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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवक़्त छलता है व्यक्तित्व को भी।
वक़्त से बड़ा छलिया है ही कौन इस ज़हान में। ऐसे ही दो लोगों की ज़िंदगी छली जा रही है। अमोक्ष क्या है? वो जिसे मोक्ष नहीं मिलता। या वो जो चाहता ही नही है मोक्ष। अमोक्ष वो है जो बंधनों में पड़ा रहना चाहता है। जिसका मोह छूटता नही है। कृष्ण से अधिक प्रेम किसने किया है भला, पर उनमें मोह नही है। वो जन्म जन्मांतर के बंधनों में नही पड़ते हैं। कृष्ण सिखाते हैं कि प्रेम और मोह अलग अलग हैं। पर क्या सच में ऐसा होता है?
क्या सच में मोह त्यागना इतना सरल है? पर कोई मोह त्यागना क्यों चाहता है? जबतक कुछ ख़्वाहिशें अधूरी रहती हैं, ये मोह छूट भी कहाँ पाता है?
समय बलवान है, और समय चक्र नियति के हाथों में। फिर भी ये मोह त्यागने की और मोक्ष प्राप्ति की बातें कृषव और धारिनी को समझा पाना मुझे तो असंभव सा लगता है।
आप कोशिश करेंगे?
क्या कहा? आप नही जानते कि कृषव और धारिनी कौन हैं? तो उन्हें समझाने का ज़िम्मा उठाने से पहले, उनकी कहानी सुनिए, उनके क़िरदारों को समझिए।
ये याद रखियेगा की आपको उन्हें मोक्ष का महत्व समझाना है, और ये भी की वक़्त छलता है किरदारों के व्यक्तित्व को भी…
शिखा शर्मा, Sthitpragya Sharma
शिखा शर्मा पेशे से बैंकर और दिल से लेखक हैं। ये पहाड़ों और भगीरथ तपोभूमि, माँ गंगा की गोद, हरिद्वार से आती हैं, और इनकी लेखनी में स्वच्छता व मासूमियत स्वतः ही झलकती है।
शिखा ‘दि नैनीताल बैंक लिमिटेड” की ऋषिकेश शाखा में कार्यरत हैं। और नैनीताल को भी अपने शब्दों के जाल में कैद कर चुकी हैं। लेखन के प्रति उनका प्रेम इतना अधिक है, कि ये नोटबंदी ओर मार्च क्लोजिंग के समय भी वक़्त निकाल कर कविताएँ लिख बैठती हैं।
“अमोक्ष” इनकी चौथी किताब है।
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