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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमहाभारत का युद्ध समाप्त हुए कई दशक बीत चुके हैं। अश्वत्थामा श्री कृष्ण द्वारा दिये गए ‘यातना के अमरत्व’ का श्राप वहन करते हुए वन-वन भटक रहा है। ऐसे में उसका आमना-सामना ‘शारन देव’ नाम के एक ग्रामीण से होता है। उन दोनों में प्रश्न उत्तर होते हैं और उस प्रश्नोत्तरी के आधार पर अश्वत्थामा आत्मविश्लेषण करता है। उसकी आँखों में महाभारत का सत्य तांडव कर रहा है। उसे अपने द्वारा की गई गलतियों का पश्च्याताप हो रहा है लेकिन अब समय बीत चुका है। वह श्रापित हो चुका है। अब चाह कर भी कुछ नहीं बदला जा सकता। फिर भी... कुछ ऐसा है जो आने वाले समय के लिए किया जा सकता है। कुछ है जो बदला जा सकता है। ‘कुछ’… जो अश्वत्थामा और शारन देव के वार्तालाप में छुपा है।
...एक सत्य, एक चेतावनी, एक संदेश...
अनघा जोगलेकर
कुशल इंजीनियर, अनघा जोगलेकर की इतिहास के साथ तत्वज्ञान तथा पुराणों में रूचि होने के कारण आपके अब तक पांच उपन्यास एवं अनेक समसामयिक लघुकथाएँ व कहानियां साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
आपके पहले उपन्यास, 'बाजीराव पेशवा: एक अद्वितीय योद्धा' को 'दिव्य अम्बिका प्रसाद पुरस्कार' से प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ है।
आपका उपन्यास 'राम का जीवन या जीवन में राम', श्री राम द्वारा किये गए कार्यों का वैज्ञानिक विश्लेषण करता है। कई पुरस्कार प्राप्त आपके उपन्यास यशोधरा में आपने भगवान बुद्ध की पत्नी यशोधरा के संपूर्ण जीवन का बखूबी वर्णन किया है। उपन्यास देवकी में आपने श्री कृष्ण की माँ देवकी के जीवन के अनछुए पहलुओं का वर्णन किया है। आप आगे भी पौराणिक विषयों पर ही लिखना चाहती हैं।
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