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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपुस्तक के बिषय में
"चलो बनायें संस्कारित संसार "यह कृति देश भर के प्रसिद्ध रचनाकारों के वह प्रेरक विचार व समाधान हैं, जो आज हर घर परिवार, समाज, नगर, गाँव व देश की प्रथम आवश्यकता है. नयी पीढ़ी में तेजी से घटते नैतिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुये, जैन इंजिनयर्स सोसाइटी फ़रीदाबाद इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का नवनीत है यह कृति.
नई पीढ़ी माता, पिता, भाई, बहिन अपने सभी परिजनों, धर्म, संस्कार, समाज, देश व नैतिक मूल्यों से हृदय से कैसे जुड़े, यह इन लेखों में समाहित है.
75 से अधिक प्राप्त आलेखों में से 32 श्रेष्ठ आलेखों को पुरस्कृत कर उन्हीं को इस कृति में समावेसित किया है. इनके लेखकों में 17 वर्ष से लेकर 77 वर्ष तक के विद्वान् मनीषी हैं, जो दिल्ली, उप्र, मप्र, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान प्रांतो के प्रतिनिधित्व करते हैं.
इन आलेखों से आप जानेंगे कि कैसे आज भी संयुक्त परिवार,सुखी परिवार समृद्ध परिवार, सहयोगी परिवार की कल्पना को साकार किया जा सकता है.
मोबाइल, नेट, मिडिया,व विश्व भर की उन्मुक्त, फूहड़, उत्तेजक,मादक नाशवान व क्षणिक सुख देने वाली संस्कृति ने युवा पीढ़ी को उस अंधकार की ओर धकेल रखा है, जहाँ भ्रम, मृग मारिचिका के आलावा कुछ भी नहीं है.
अरुण कुमार जैन, Shrimati Nanda Jain
२३ दिसम्बर-१९५७ को ललितपुर, उत्तर प्रदेश में जन्मे श्री अरुण कुमार जैन प्रतिष्ठित हिन्दी साहित्यकारों में हैं। १९६९ से उनकी रचनाओं का प्रकाशन देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। अभी तक 3 हजार से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हुआ। १४ पुस्तकों का लेखन इनके द्वारा किया गया है। भारतीय रेल के सिविल इंजीनियर श्री अरुण जैन १९८१ से आकाशवाणी के फरीदाबाद, छतरपुर, जबलपुर व कटक केंद्रों से जुड़े हुए हैं। भारतीय दूरदर्शन के लिए भी इन्होंने कार्यक्रम बनाए हैं। ये लगभग 50 पुरस्कारों से सम्मानित हैं। इनमें भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा व उड़ीसा शासन द्वारा दिए गए सम्मान भी हैं। इनकी लेखन विधा में गद्य, पद्य, कहानी, नाटक व लेख भी हैं। इनका उपन्यास संजोग बहुचर्चित रहा है। २०१७ से अमृत हॉस्पिटल फरीदाबाद में महत्वपूर्ण कार्य का निर्वहन कर रहे श्री अरुण आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज व माता अमृतानंदमयी देवी को अपना आदर्श मानते हैं। इनकी रुचियों में पौधारोपण व लोगों को शिक्षित करना व एक स्वस्थ समाज के निर्माण का है। विगत 3 वर्षों से इनके द्वारा एक पाठशाला का भी संचालन हो रहा है, जिसमें 60 से अधिक श्रमिक बच्चे पढ़ते हैं।
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