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Collection of poetry 'chalte rahna...' / 'चलते रहना...' 'chalte rahna...'

Author Name: Pradeep 'panth' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मनुष्य को न तो कभी मंजिल मिलती है और न ही कभी रास्ते खत्म होते हैं। और अधिक पाने की चाहत में मनुष्य एक मंजिल मिलते ही किसी दूसरी मंजिल को पाने के लिए नए रास्तों पर चल पड़ता है। मनुष्य का जीवन जब तक है तब तक उसे चलते ही रहना है। रिश्ते नातों को निभाते, समाज के विभिन्न सोपानों से गुजरते हुए, तमाम भावों और विचारों को आत्मसात करते हुए व तमाम समस्याओं से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना ही जिन्दगी है।

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प्रदीप 'पांथ'

प्रदीप 'पांथ' लगभग दो दशक से कविता लेखन में सक्रिय हैं। अब तक दो काव्य संग्रह ' आईना ' और 'दास्तान-ए- जिंदगी' प्रकाशित हो चुकी है। कुछ साझा संग्रह में भी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैंं। वर्तमान में अमेठी जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।  पत्रकारिता जगत में भी सक्रिय हैं। विज्ञान विषय से नाता होने के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में भी कविता लेखन कर रहे हैं।

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