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Earth's Prevailing religions and cults / पृथ्वी के प्रचलित धर्म व पंथ

Author Name: Abdul Waheed | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

प्रत्येक धर्म का आधार अपनी जगह पर मनुष्य के जीवन का सही लक्ष्य निर्धारित करना है व अपने को एकाग्र करना है व संसारिक रिश्तों माँ बेटा भाई बहन , , पति पत्नी , छोटे बड़े का सम्मान की डोर से बाँधना ही धर्म का लक्ष्य है । मुझे आज इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता केवल इसलिए हुयी कि लोग एक दूसरे के धर्म को बदनाम न करें बल्कि उस धर्म के सम्प्रदायों के बारे में अवश्य जानें क्योंकि हो सकता है कि एक सम्प्रदाय विशेष ही पूरे धर्म को बदनाम कर रहा हो , लोग एक दूसरे के धर्म का सम्मान करना जाने , मुझे बड़ा दुःख होता है जब एक दूसरे के धर्म का कोई अपमान करता है , जैसे कुछ समय पहले लखनऊ में बी ० एस ० पी ० के लोगों ने गीता व रामायण को जलाकर कुछ समय पहले नावें में एक काटूनिस्ट ने पैगम्बर मोहम्मद का अपमान ( उग्र ) चित्र बनाकर बाबरी मस्जिद को शहीदकर , चर्च में आर एस एस वालों ने ननों को मार डाला व चर्च को ध्वस्त कर दिया । धर्म को छोड़कर सम्प्रदायों के आपस में झगड़े हैं जैसे शिया सुन्नी पंडित रेवास , कैथोलिक आयोडॉक्स , देवबन्दी बरेलवी इसी प्रकार से आपसी झगड़े केवल सम्प्रदाय की सही जानकारी न होना है । आज अधिकतर लोग विश्वास के आगे जानकारी करना गुनाह समझते हैं व यह कहकर जानकारी नहीं करते हैं कि मेरे फादर या मौलवी या पंडित तो है यह जो बताएँगे वही मानेंगे और सम्प्रदाय की जानकारी भी यह कहकर टाल देते हैं कि मेरे सम्प्रदाय वाले गुरूजी जो बताएँगे वही मानेंगे , अगर उन्होंने यह कहा कि उनकी पुस्तक को न छूना व न पढ़ना व भाषण न सुनना तो वैसा ही करेंगे । मेरे महान भारत देश में धर्म व सम्प्रदाय की जानकारी को कमी की वजह से न जाने कितने जनता से रूपये लूटते हैं ।

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अब्दुल वहीद

मेरा नाम अब्दुल वहीद है, मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है। मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है। जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए-नए खोजो की जानकारी में प्रयुक्त रहा है। मैं B.Sc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सर्वगवास हो गया था । मेरे पिता जी की दो बातें जो, मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है– इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो, दूसरा– अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो।   इसलिए घर की जिम्मेदारी, फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । मेरे लेख प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में भी छप चुके हैं। यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरुर अवगत कराये । धन्यवाद ।पुस्तक पढ़ने के लिए, शुक्रिया,( धन्यवाद, ) यदि पुस्तक में कोई तृटि या कमी लगे तो तत्काल अवगत करें।

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