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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारा गुस्सा और घमंड, हमारी इसी सीमित सोच का परिणाम है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम दूसरों से श्रेष्ठ हैं। जब हमारी अपेक्षाएँ पूरी नहीं होतीं या हमें अपमानित महसूस होता है, तो गुस्सा हमारे भीतर जन्म लेता है। लेकिन यदि हम ब्रह्माण्ड के इस विराट परिप्रेक्ष्य में अपने स्थान को देखें, तो हमें महसूस होगा कि हमारा गुस्सा और अहंकार व्यर्थ है। गुस्सा न केवल हमारे मन और शरीर को नष्ट करता है, बल्कि यह हमारे रिश्तों और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। यह हमें दूसरों से दूर कर देता है और हमारे भीतर की शांति को छीन लेता है। जब हम यह समझ जाते हैं कि जीवन का उद्देश्य घमंड या गुस्से में जीना नहीं है, तो हमारा दृष्टिकोण बदलने लगता है। हमें अपने अहंकार, गुस्से, और असंतोष को त्याग कर एक ऐसा जीवन जीना चाहिए, जो न केवल हमारे लिए बल्कि इस ब्रह्माण्ड के हर छोटे-बड़े हिस्से के लिए प्रेरणा बन सके। यही हमारे जीवन की सच्ची परिभाषा है, और यही इस पुस्तक का उद्देश्य।
सूरज सिंह
सूरज सिंह, एक ऐसा नाम जो शिक्षा और साहित्य दोनों क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान रखता है। उनकी पहचान एक शिक्षक से कहीं अधिक है; वे अपने विचारों और शब्दों के माध्यम से समाज को नई दृष्टि प्रदान करने वाले एक सशक्त लेखक भी हैं।
जहां उनके व्यक्तित्व में एक शिक्षक की गंभीरता और मार्गदर्शन की क्षमता है, वहीं उनकी लेखनी में एक कवि की संवेदनशीलता और गहराई का दर्शन होता है। उनकी पुस्तक “शिकायतें” इस बात का प्रमाण है कि जीवन के जटिलतम पहलुओं को कैसे सरल, सहज, और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। उनकी ग़ज़लें, शेर, और शायरी पाठकों के दिलों को छूते हैं और उन्हें अपने भीतर झांकने पर विवश करते हैं। सूरज सिंह के लेखन में भावनाओं की वह ताकत है जो शब्दों को जीवंत बना देती है और पाठक को हर पंक्ति में एक नया अर्थ खोजने के लिए प्रेरित करती है।
शिक्षा के क्षेत्र में उनकी यात्रा केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है। वे शिक्षा को जीवन का मार्गदर्शक मानते हैं, एक ऐसा माध्यम जिससे न केवल विद्यार्थी बल्कि समाज भी समृद्ध होता है। राज्य और केंद्रीय विद्यालयों में वर्षों के अनुभव के साथ, उन्होंने हजारों छात्रों को न केवल पढ़ाई में बल्कि जीवन के हर संघर्ष में भी सफल होने का हौसला दिया है। उनके छात्रों के लिए वे केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि प्रेरणा, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के स्रोत हैं।
सूरज सिंह के लिए कक्षा केवल एक चारदीवारी नहीं है, यह एक मंच है जहां हर छात्र को अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलता है। उनकी शिक्षण शैली छात्रों के मनोबल को बढ़ाती है, और उनका दृष्टिकोण हर युवा को भविष्य के संघर्षों के लिए तैयार करता है।
साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड, शब्द भास्कर सम्मान, और ब्लू इंक अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों ने उनके कार्यों की सराहना की है। ये सम्मान उनके सशक्त विचारों, प्रभावी लेखन, और समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा का प्रमाण हैं।
सूरज सिंह का मानना है कि शिक्षा और साहित्य केवल ज्ञान या मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि ये समाज में बदलाव लाने के सबसे प्रभावी उपकरण हैं। उनकी रचनाएं पाठकों को न केवल प्रेरित करती हैं, बल्कि उन्हें अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर कुछ नया करने का साहस भी देती हैं।
सूरज सिंह के व्यक्तित्व की खासियत उनकी गहराई है—एक ऐसी गहराई जो शब्दों में, विचारों में, और उनके कार्यों में झलकती है। वे न केवल एक शिक्षक और लेखक हैं, बल्कि एक विचारक, एक मार्गदर्शक, और हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन में कुछ अर्थपूर्ण करने का सपना देखता है।
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