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Indian Police: Challenges and Social Justice / भारतीय पुलिसः चुनौतियां और सामाजिक न्याय

Author Name: Arun Prakash | Format: Paperback | Genre : History & Politics | Other Details

 

•             वर्ष 2005 से 2015 के बीच प्रति लाख आबादी अपराध ¼IPC½ 41.68 प्रतिशत बढ़ा है जिसके आधार पर वार्षिक वृद्धि दर लगभग 4 प्रतिशत है। तकनीकी के इतने विकास के बावजुद भी इतना अपराध बढ़ना हमारी व्यवस्था में गहरे दोष का परिचायक है। जापान की तुलना में इराद्तन हत्याओं की (दर प्रति लाख आबादी) की तुलना करें तो भारत में हत्याओं की दर 11 गुणा अधिक है।

•             आधी दिल्ली का अवैध निर्माण राजनेताओं और नौकरशाहों की नाक के नीचे क्यों?

•             तीन करोड़ से अधिक वाद न्यायालयों में लम्बित

•             विशेषज्ञों की घोर अवहेलना: माडल पुलिस एक्ट को किसी राज्य ने नहीं माना

•             वर्ष 2018 में वैश्विक शान्ति सूचकांक के आधार पर 163 देशों की सूची में भारत 136 वें स्थान पर है। श्रीलंका हमसे काफी बेहतर 67 वे स्थान पर है, बंगला देश 93 वे स्थान पर है।

•            क्या पुलिस सुधार के विषय में भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना नही है?

•             उत्तराखण्ड राज्य पुलिस बोर्ड का मनमाना गठन और 8 वर्ष तक एक भी बैठक नही।

•             अपराध के कुचक्र से कैसे आ सकते हैं बाहर ?

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अरूण प्रकाश

अरुण प्रकाश का जन्म खतौली, मुजफ्फर नगर, उत्तर प्रदेश में 2 जून 1950 को हुआ था। उन्होंने 1971 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और एमएनआर इंजीनियरिंग कॉलेज, इलाहाबाद (अब एमएनएनआईटी) से पहला स्थान और स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्हें इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने, निर्माण परियोजनाओं, सिंचाई और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की सिंचाई संबंधी समस्याओं को हल करने, लिफ्ट नहरों के निर्माण, कार्यशाला प्रबंधन और जलविद्युत निर्माण परियोजनाओं सहित विभिन्न भूमिकाओं में काम करने का 38 वर्षों का व्यापक अनुभव है। उन्होंने अपनी पूरी सेवा के दौरान किसानों के साथ मिलकर काम किया।

उन्होंने जनता की समस्याओं, समाज में अपराध और माफिया के मूल कारणों में विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने पुलिस प्रबंधन और पुलिस आयोग की रिपोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के संबंधित अध्ययन, विभिन्न आयोग रिपोर्टों के विश्लेषण और सरकार द्वारा किए गए अनुपालन पर डेटा (आरटीआई की सक्रिय मदद से) का भी अध्ययन किया। वह लेख लिखते हैं और दो जनहित गैर सरकारी संगठनों के कार्यकारी के रूप में सक्रिय योगदानकर्ता हैं।

ईमेल: er.arunprakash@gmail.com

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