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JAINACHAR VIGYAN / जैनाचार विज्ञान जीवनचर्या वैज्ञानिक विश्लेषण

Author Name: Acharya Suneelsagar | Format: Paperback | Genre : Health & Fitness | Other Details

जैनाचार विज्ञान में व्यक्ति की जीवन पद्धति को आघुनिक शब्दावली में वैज्ञानिक रीति से समझाया गया है। यह कृति आघुनिक समाज विशेषतः युवावर्ग के लिए अत्यन्त उपयोगी है। लेखक ने युवाआंे के मन में उठने वाली विविघ शंकाओं कुशंकाओं, प्रश्न-प्रतिप्रश्नों को वैज्ञानिक तथ्यों के आलोक में विवेचित कर शास्त्रों की मान्यताओं को पूर्वाग्रह रहित होकर पुष्ट किया है। इस कृति के कुछ प्रमुख विषय इस प्रकार हैं- अध्यात्म और विज्ञान,  कब जागें? चिन्तन का प्रभाव, योग के आठ अंग, दर्शन कैसे एवं क्यों करें? मूर्ति का वैज्ञानिक महत्व एवं प्रभाव, पूजन क्यों और कैसे? दीपक से ही आरती क्यों? दिगम्बर साघु की जानकारी, रात्रि भोजन क्यों नहीं? मूड क्यों बिगड़ता है? कैसा हो नजरिया? तैयारी काॅलेज की आदि।

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आचार्य सुनीलसागर

लेखक का परिचय
लेखक आचार्य श्री सुनीलसागर जी का जन्म मध्यप्रदेश के सागर जिला के तिगोड़ा (हीरापुर) नामक ग्राम में श्री भागचन्द्र जैन के यहां 7 अक्टूबर 1977 को हुआ। उनका नाम संदीप रखा गया। प्रारम्भिक शिक्षण किशुनगंज (दमोह) में तथा उच्च शिक्षण सागर में हुआ। बी. बाॅम. करने के बाद आपने सन्यास ले लिया। 20 अप्रैल 1977 को बरुआसागर (झांसी) में जैन मुनिदीक्षा हुई, तब आपका नाम मुनि सुनीलसागर जी रखा गया। आपको दीक्षा देने वाले गुरु आचार्य श्री सन्मतिसागर जी थे। बाद में सुनीलसागर जी अपने गुरु के पट्टाचार्य बने।
आचार्य सुनीलसागर जी ने अभी तक 48 पुस्तकें लिखीं हैं, जिनमें 12 पुस्तकें प्राकृत भाषा में हैं। आचार्य सुनीलसागर जी जैन सन्यासी होने के कारण किताबों आदि के लिए सम्पादक डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर उनका प्रतिनिधित्व करते हैं।

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