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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकाले पत्थर' में संकलित कविताओं में मानव की सोच, उसके कर्म और उसके परिणामों पर एक नए दृष्टिकोण से काव्य विवेचना की गई है, ताकि लोगों को अपनी सोच से हटकर जीवन के यथार्थ को समझने और हर स्थिति और परिस्थिति में सर्वानंद की भावना से जीवन को जीने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले।
लेखन एक ऐसी कला है जो मानव की बुनियादी विचारधारा में कभी भी तथ्यात्मक परिवर्तन ला सकती है, बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने आसपास जो भी कुछ देखा और समझा उसे कविता में उतारकर व्यक्त किया है। अक्सर लोग सुनी-सुनाई या किसी की कही-बनाई बातों पर ध्यान देते हैं, मैंने ऐसी बातों को कहने वालों को ठीक से आंखें खोलकर पहले देखा है और फिर उस देखे को अपने शब्दों में ढालकर कविता के माध्यम से एक भाव-यात्रा की है।
शैलेन्द्र भट्ट
शैलेन्द्र भट्ट कला समीक्षक, कला प्रवर्तक, ब्लॉग लेखक, कला कार्यक्रम आयोजक हैं| इसके साथ ही वे साँझी, माँडना, उत्सव चौक, आरती डिजाइन, पुष्प स्थापना और समाज के जैसी मन्दिरों की लगभग चार सौ वर्ष पुरानी परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें ये कला अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है, जो भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु के षट्-गोस्वामियों में से एक थे।
वे आदिवासी और पारम्परिक कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पिछले चालीस वर्षों से काम कर रहे हैं। उन्होंने इन पारम्परिक कलाओं के लिए सामान्य जन में रुचि और समझ पैदा करने के लिए कई पहल की हैं। उन्हें वित्त और लेखा के पेशेवर के रूप में दुनिया की अग्रणी कम्पनियों के साथ काम करने का पच्चीस वर्षों का अनुभव है। उन्होंने जीवन को अपने तरीके से जीने के लिए कॉरपोरेट दुनिया को छोड़ अपने परिवार और पारम्परिक कला संस्कृति के बीच संतुलन बनाए रखने को प्राथमिकता दी। शैलेन्द्र भट्ट के पिता प्रोफेसर श्री कृष्ण चैतन्य भट्ट 'राकेश' अपने समय के माने जाने साहित्यकार एवं प्रसिद्ध कवि थे, यही कारण है कि उन्होंने कला, साहित्य और संगीत को अपनी परम्पराओं से अपने जीन में प्राप्त किया है। बचपन से ही उनका झुकाव अपने पिता के पुस्तकालय में रखी साहित्य की पुस्तकों को पढ़ने की ओर था।
शैलेन्द्र भट्ट को अपने लेखन को ब्लॉग के रूप में अभिव्यक्त करने की प्रेरणा अपने पुत्र के द्वारा मिली, जिसने उन्हें एक दिन वर्डप्रेस पर अपने लेखों को पोस्ट करके अपने सृजन को एक स्थान पर संग्रहीत करने के लिए कहा था। उनके ब्लॉग जीवन की वास्तविक घटनाओं और उनके चारों ओर हो रही विविधताओं से परिपूर्ण हैं। वह अपने विचारों में समसामयिक सामाजिक समस्याओं और उनके समाधान को कलमबद्ध करते प्रतीत होते हैं। शैलेंद्र भट्ट लेखन को 'ई-योग' मानते हैं जो इक्कीसवीं सदी के तेजी से बढ़ते डिजिटल लाइफस्टाइल में उनके विचारों को सुव्यवस्थित करते हुये आत्म- साक्षात्कार का एक गति प्रदान करता है।
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