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KAALJAYEE HINDI KAHANIYAN / कालजयी हिंदी कहानियाँ (हरियाणवी अनुवाद) HARYANVI ANUVAAD

Author Name: Madan Lal Madhu | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

हिंदी साहित्य जगत की कुल ग्यारह कालजयी कहानियों का हरियाणवी उपभाषा में अनुवाद कुछ विशिष्ट उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया  गया है, ताकि हरियाणा का जनमानस अपनी 'माँ-बोली' में श्रेष्ठ साहित्य का रसास्वादन कर सके तथा अन्य भाषा-भाषी लोग इस भाषा के माधुर्य का लुत्फ़ उठा सकें। इसी लक्ष्य को मद्देनज़र मैंने अपनी इस पुस्तक में हिंदी भाषा के श्रेष्ठ, मूर्धन्य साहित्यकारों क्रमशः कृष्णा सोबती, सियारामशरण गुप्त, विष्णु प्रभाकर, मुंशी प्रेमचंद, तारा पांचाल, रामकुमार आत्रेय, भीष्म साहनी, जयशंकर प्रसाद, रांगेय राघव, सुदर्शन और कहानीकार यशपाल आदि द्वारा विरचित ग्यारह कालजयी हिंदी कहानियों का हरियाणवी उपभाषा में अनुवाद किया है। 

हरियाणा प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम की गद्य विधा में इनमें से कुछ कहानियां लंबे वक्त तक संकलित रही। भाषा शिक्षक होने के नाते कक्षा-कक्ष में कहानी के कथ्य, परिस्थिति और पात्रों की भाव-भंगिमा और संवाद शैली अपनाते हुए मैं वाचन करता ; बरबस 'सिक्का बदल गया' की शाहनी, 'कोटर और कुटीर' के गोकुल, 'पूस की रात' के हल्कू जैसे पात्रों की आत्मा से स्वयं को लिपटे पाता। 
कहानी के मार्मिक प्रसंगों पर छात्रों की आँखों से टप-टप टपक रहे आँसुओं को देखता तो......! 
यह भी एक बड़ी वजह रही कि इन कालजयी कहानियों का हरियाणवी बोली में अनुवाद किया जाए।
 
 
 

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मदन लाल 'मधु'

लेखक हरियाणा शिक्षा विभाग में मौलिक मुख्य अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं, इसके साथ-साथ इनकी साहित्य में विशेष रूचि है और जो रचनाएँ इन्हें प्रभावित करती हैं उनका अपनी माँ बोली हरियाणवी में न केवल अनुवाद करते हैं, बल्कि सोशल मीडिया व बड़े साहित्यिक मंचों पर वाचन भी करते हैं । पाठकों व श्रोताओं का एक बड़ा वर्ग उनकी वाचन कला को पसंद कर रहा है।

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