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Mahaakavi Unmatt ki Shishya (vyangy sangarodh) / महाकवि ‘उन्मत्त’ की शिष्या (व्यंग्य संकलन)

Author Name: Kundan Singh Parihaar | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

यह मेरा पाँचवाँ व्यंग्य-संकलन है। इसके साथ कहानी और व्यंग्य के संकलनों की संख्या बराबर हो गयी। कहानी और व्यंग्य समान गति से लिखने और प्रकाशित होने के बावजूद दूसरा व्यंग्य-संग्रह बहुत विलंब से प्रकाशित हुआ और इस प्रकार असन्तुलन उत्पन्न हुआ। 'वर्जिन साहित्यपीठ' के संचालक श्री ललित मिश्र ने तीन संग्रह प्रकाशित कर इस अन्तर को पाटने में सहयोग दिया है। वे सुलझे हुए, साफ-सुथरे व्यक्ति हैं। उनका बहुत आभारी हूँ।

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कुन्दन सिंह परिहार

रचनाकर्म: 1960 के पश्चात निरन्तर कहानी और व्यंग्य लेखन। लगभग दो सौ कहानियाँ और इतने ही व्यंग्य प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अब तक पाँच कथा-संग्रह (तीसरा बेटा, हासिल, वह दुनिया, शहर में आदमी, काँटा) और चार व्यंग्य-संकलन (अन्तरात्मा का उपद्रव, एक रोमांटिक की त्रासदी, नवाब साहब का पड़ोस, बेख़ुदी के लमहे) प्रकाशित। 1994 में म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वागीश्वरी सम्मान और 2004 में राजस्थान पत्रिका के सृजनात्मकता पुरस्कार से सम्मानित।

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