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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपंचसखाओ ने अनेक भविष्य ग्रंथो कि रचना किए थे, जिसको ग्रंथो की माला "मालिका" कहा जाता है। मालिका ग्रंथो में भविष्य के बारे में दर्शन मिलता है इसलिए मालिका को "भविष्य मालिका" भी कहा जाता है। मालिका मै भविष्य, दर्शन शास्त्र, योग शास्त्र, आयुर्वेद, खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान मिलता है। पंचसखाओ ने बोहोत सारे मालिका ग्रंथो की रचना किए थे। पंचसखाओ में महापुरुष संत अच्युतानंद दास जी जिनके पास भूत, भविष्य देखने का क्षमता था उन्होंने करीब ३१८ मालिका ग्रंथ लिखे थे। पंचसखाओ के अलावा और भि कुछ महान कबि और लेखक है जिनके मालिका ग्रंथ में योगदान है और उन्होंने भि कुछ मालिका ग्रंथ लिखे थे। बालिगा दास, सालबेग, दिनाकृष्ण दास, शिखर दास, शिशु दास, बाईकृष्ण दास, निराकार दास, हाड़ी दास, भीम भोइ, अभिराम परमहंस, अर्खित दास, आर्ता दास। आज तक २०० कुछ मालिका ग्रंथ मिले है ३१८ मालिका ग्रंथो में से जो की अलग अलग मंदिरों और मठो मे महंतो और संतो के पास है। इन २०० कुछ मालिका ग्रंथो में से बस कुछ मालिका ग्रंथ पुस्तक के रूप में मार्केट पर उपलब्ध है। मालिका का मुख्य उधेश्य है कलियुग के अंत में खंड प्रलय से पहले भक्तों को सतर्क करना।
भविष्य मालिका में वर्णन है कलियुग के बारे में, प्रभु कल्कि के लीलाओ के बारे में, भक्तो के बारे में, युद्ध के बारे में, गुप्त चीजों के बारे में, मंत्रो के बारे में, युगो के बारे में और भी बोहोत कुछ। भविष्य मालिका ग्रंथ किसी को डराने के लिए नही है लोगो को सतर्क करने के लिए है। भविष्य मालिका मे कलियुग के अंत में घटित होने वाले खंड प्रलय का वर्णन अबश्य है पर साथ में कैसे उससे बचे ये भी बताया गया है।
१७ महान संत
भारत देश में स्थित ओडिशा राज्य के पवित्र भूमि में बोहोत सारे साधु संतो ने जन्म लिया है और समय समय पर संस्कृति और अध्यात्मिकता को मजबूत किया है विभिन्न महान आत्माओ में सबसे प्रमुख पंचसखा (पांच मित्र) है। पंचसखा - अच्युतानंद दास, जशोबन्त दास, बलराम दास, जगन्नाथ दास और शिशु अनंत दास।
प्रभु श्री कृष्ण के सखा सुदामा कलियुग में अच्युतानंद दास थे, जो की प्रभु के श्रीअंग के कति अर्थात कमर से उत्पन्न हुए थे। वैसे ही प्रभु के मुख से जशोबन्त दास, हृदय से अनंत दास और दक्षिण भुजा(दांया हाथ) से बलराम दास का उत्पन्न हुआ। और माँ राधारानी के हसी से जगन्नाथ दास उत्पन्न हुए। (इससे यह समझना चाहिए की ये पंचसखा कोई साधारण मानव नहीं थे, ये साक्षात परब्रम्ह के अंश थे। ये पंचसखा पूर्व जन्म में गोपाल बालक के रूप में प्रभु श्री कृष्ण के परम सखा थे। जिसमें बलराम दास सखा सुबल थे। वैसे ही जशोबन्त दास सखा सुबाहु थे। शिशु अनंत दास सखा दाम थे। अच्युतानंद दास सखा सुदाम थे। जगन्नाथ दास सखा श्रीबत्स थे।
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