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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकाव्य, कविता या पद्य साहित्य की वह विधा है जिसमें मनोभाव को कलात्मक रूप से भाषा के द्वारा व्यक्त किया जाता है। काव्य सदैव भावनाओं का श्रृंगार करती है और उसी से सुशोभित होती है।
कविता का उदय सृष्टि में मानवीय संवेदना के जन्म के साथ हुआ प्रतीत होता है। मानव हृदय के भाव उद्वेलन से जो शब्द निकलते हैं वही कविता बन जाते हैं। एक संवेदनशील प्राणी होने के कारण उसका मन अपने शरीर पर पड़ने वाले सुख-दुःख, प्रेम, दया, क्रोध, मोह आदि अनेकानेक भावों से सदैव प्रभावित होता रहता है। इसी अनुभूति का लिखित रूप में प्रस्तुतिकरण काव्य रूप में अवतरित होता है।
एक कवि जब सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजें व्यापक तरीके से अपने अन्तर्मन में महसूस करता है तो उसे काव्य रूप में व्यक्त करने का प्रयास करता है। क्योंकि मनुष्य के पास यही एक मात्र साधन है जो शब्दों में अवतरित हो सकता है और उसकी प्रसन्नता को परिष्कृत कर सकता है। इसी से मनुष्य भाव की रक्षा होती है और वह स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहता है।
इस पुस्तक में लगभग ५० लेखकों ने अपने इसी भाव को व्यक्त करने का उत्तम प्रयास किया। साथ ही अपने निजी, प्राकृतिक और आसपास की वस्तुओं में सोच की डुबकी लगाकर उन्हें कविता के योग्य बनाया है।
पूजा गौतम
इनका नाम पूजा गौतम है। यह दिल्ली की रहने वाली हैं। इन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर और बी.एड किया है और अब हिंदी में स्नातकोत्तर कर रही हैं। इनका मानना है की ज्ञान अर्जित करना कभी रुकना नही चाहिए, बल्कि ये प्रवाह्यमान और निरंतर गति से बढ़ते रहना चाहिए। यह औरतों की जागरूकता के विषय में लिखना ज़्यादा पसंद करती हैं या यूं कहिए ज्वलंत मुद्दों को उठाकर अपनी लेखनी द्वारा प्रश्नवाचक चिन्ह लगा देती हैं कि अन्याय और अत्याचारों का समाधान आखिर हैं कहां? इनको कविताएं, शायरी, ग़ज़ल, निबंध और लेख लिखने का शौक है और इन्होंने इसी क्षेत्र में कई प्रशस्ति पत्र भी हासिल किए हैं। लिखना इनकी रुचि में निहित है। शब्दों द्वारा भावों का लिखित रूप में प्रदर्शन कर इन्हें अत्यधिक पसंद है। लेखन के क्षेत्र में यह चरमोत्कर्ष पर पहुंचना चाहती हैं। इनके स्वयं के तीन संकलन (Her Life's Liberty, My Heart hurts और "लफ्ज़-ए-शायरी" प्रकाशित हो रहे हैं। तीन अन्य संकलन - "wo din bhi kya din thae", L'amour 2, "मां - मेरे जीवन की प्रेरणा" पहले से ही प्रकाशित हो चुके हैं और स्वयं की एकल पुस्तक (प्रेमार्थ) निखिल जैन और अनिका जैन के साथ अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है। "तारें ज़मीन पर" पत्रिका में इन्होंने वैश्यावृति के ऊपर "नर-नगण्यता" नामक एक कविता लिखी, जिसके लिए इन्हें "स्टार ऑफ द मैगज़ीन" से सम्मानित भी किया गया और "द ओपस कोलिसियम" की तरफ से अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं। यह भावनात्मक तौर से हर चीज़ को बहुत गहराई से देखती हैं और उसका मूल्यांकन करती हैं। इनका मानना है कि लेखन हमारे व्यक्तिगत जीवन से ही जुड़ा होता है और जो हम महसूस करते हैं वही हम लिखते हैं। आधार हमारी आसपास की वस्तुएं और भावनाएं ही हैं।
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