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Saanjhi Saanjh (Vol - 3) / सांझी सांझ (खंड - 3)

Author Name: JV Manisha | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

वक्त के पहिए पर सवार ज़िन्दगी जिन रास्तों से गुज़रती है वह हर पल एक कहानी से जुड़ते चले जाते हैं अनुभवों की किताब में, जिन्हें पलट कर फिर से पढ़ना, सुनाना या जीना हमेशा अच्छा लगता है। आइने में रोज़ देखने के बाद भी अपने चेहरे पर उभरते बदलाव कहां दिखाई पड़ते हैं। ये तो भला हो एलबम में टंकी तस्वीरों का जो चीख-चीख कर बता देतींहैं कि उम्र चहरे पर कितनी नई लकीरें खीच कर चली गई है। बालों में चांदी भर गई है और समय के ताप में तपा कर समझ को कुं दन कर गई है। बचपन में गिरने या खो जाने के डर से उंगली पकड़ कर चलने वालों की उंगली जब उन्हेंगिरने या खो जाने के डर से पकड़नी पड़ती है तो वक्त के पहिए पर सवार ज़िन्दगी का सफर बिना एहसास दिलाए बीते हुए हर पल एहसास दिला जाता है। कितना आश्चर्यजनक है कि बचपन बच्चा नही रं हना चाहता और बड़े होने के बाद सभी बचपन की ओर हसरत भरी निगाहों से देखते हैं। सोच कर देखें तो हर रोज़ ऐसा क्या नया था? बस सुबह शाम में और रात सुबह में ही तो बदलती थी रोज़, जिसने पूरा का पूरा बदल दिया हम सबको!

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जे वी मनीषा

जे वी मनीषा – लेखिका, निर्देशिका और समाज सेवी, रचनात्मक मीडिया क्षेत्र में पिछले ३३ वर्षों से कार्यरत हैं। जे वी मनीषा भावनात्मक अभिव्यक्ति से लगभग ९ वर्ष की आयु से जुड़ गई थीं, जब उन्होंने अपनी पहली कविता स्कूल के मंच से पढ़ी और उनका सफ़र लाल क़िले के प्रतिष्ठित कवि सम्मेलन तक जा पहुँचा। दूरदर्शन की प्रमुख उद्घोषिकाओं में से एक जे वी मनीषा ने दूरदर्शन के लिए एक ऊँची टी आर पी शो ‘सफ़र ज़िंदगी का’ का निर्माण किया जो २००० के दशक के मध्य में प्रसारित किया गया था। उन्होंने कई कार्यक्रम, टेलिफ़िल्म, विज्ञापन, टेली सीरियल आदि में अभिनय, निर्देशन, निर्माण व लेखन किया। उनके समवेदनशील पक्ष ने उन्हें देश के बुजुर्गों से भावनात्मक तौर पर जोड़ा जिसके तहत २००३ में ‘हरिकृत’नामक स्वयं सेवी संस्था की स्थापना हुई और वे इसकी संस्थापक सचिव हैं। इस संस्था का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की ज़रूरतों के बारे में जागरूकता पैदा कर उनके लिए एक बेहतर माहौल तैयार करना है, जो पीढ़िगत अंतर को पाटने में सहायक हो। २० वर्षीय इस संस्था के माध्यम से वे अधिक वृद्ध आश्रमों के स्थान पर ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम कर रही हैं जो एक-दूसरे के प्रति समवेदनशील हो, विशेषकर बुजुर्गों के प्रति। जे वी मनीषा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और ५ प्रकाशित पुस्तकों की लेखिका भी। सांझी साँझ के खंड ३ के पश्चात उनका नया उपन्यास भी पाठकों के लिए शीघ्र ही उपलब्ध होगा।

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