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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palस्याही के रंग ऐसे अनुभवों का संकलन है जो व्यक्तिगत रूप से अभिव्यक्त किये गए हैं कि स्याही को किसी एक रंग में नहीं रंगा जा सकता क्योंकि सहजता और मौलिकता आपके भावो को आधार देती है इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि हमारे भावों के प्रस्तुतिकरण में इनका समावेश होना चाहिए इस संकलन में लक्ष्मी सिंह और राकेश शर्मा ने जीवन की सत्यता का वर्णन किया है अपने विचारों से अपने मनोभाव को कलम द्वारा व्यक्त किया है आशा करतीं हूँ इसे पढने के बाद पाठकों को कुछ जानने को सिखने को मिलेगा
लक्ष्मी सिंह राकेश शर्मा
लक्ष्मी सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूराबघेला गाँव में 7 नवम्बर 1999 मे हुआ इनके पिता जी का नाम “श्री राजेश्वर सिंह” जोकि पेशे से एक किसान है और माँ का नाम “ऋतु सिंह” जोकि बाल विकास परियोजना के तहत शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं गांव के विघालय से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद एम. एस इन्टर कालेज से 12 वीं तक की शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात आर. एल पी. जी कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की ! !
इनके दादा जी “स्व. श्री मंगला प्रसाद सिंह जी” हिन्दी साहित्य के शिक्षक होने के साथ साथ एक कवि भी थे और समाज सेवी!!
लक्ष्मी को बचपन से ही लिखने का बहुत शौक था लेकिन इनके सपने कुछ और ही थे रेलवे मे नौकरी करने का इनका सपना था बहुत कोशिशों के बाद भी ये सफल नहीं हो सकीं किसी ने सही कहा है पृथ्वी गोल है शायद प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था फिर ये सरस्वती रूपी कागज के पन्नों पर ब्रह्मा रूपी कलम द्वारा लिखना प्रारम्भ कर दी !
इस क्षेत्र में बहुत ही कम दिनों में अपनी एक अलग पहचान बना लीं और “स्याही के रंग” जैसे एक पुस्तक की रचना कर डालीं
इन्होंने 23 संकलन में सह- लेखिका के रूप में कार्य किया और बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन रहा इनका क्योंकि इनकी रचनाएँ लोगों को काफी पसंद आई ये 85 सम्मान प्रमाण पत्रों द्वारा सम्मानित कि जा चुकीं है भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और अफ्रीका के लेखकों के साथ भी इन्होंने कार्य किया है 2021 में सबसे ज्यादा उपलब्धियां प्राप्त कि इन्होंने जिसकी वजह से इनको “अचीवमेंट आफ द ईयर” का अवार्ड मिला ! !
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