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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palदूसरे विश्वयुद्ध के बाद कुछ बड़े सैनिक अधिकारियों ने भारत में एक गुप्त संस्था का निर्माण कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमय मृत्यु की सच्चाई को जानने का प्रयास किया था। ये वही लोग थे, जिन्होंने आजाद हिंद फौज के झंडे तले भारत की आजादी के लिए दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नेताजी का साथ दिया था। उन्होंने हमेशा अपनी पहचान गुप्त रखी। उन्हें इस बात का तनिक भी भरोसा नहीं था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत उस हवाई दुर्घटना में हुई थी, जिसके बारे में जापानी रेडियो द्वारा घोषणा की गई थी। भारत की आजादी के बाद उनके कुछ खास समर्थकों ने एक गुप्त संगठन का निर्माण कर अपने लोगों को सुभाष की खोज के लिए बाहर के देशों में भेजा। क्या वे हक़ीक़त को जान पाए? यह उपन्यास सत्य और काल्पनिक घटनाओं का समिश्रण है, जिसे सरलता से लिखा गया है।
डॉ. ब्रजेश वर्मा
डॉ. ब्रजेश वर्मा का जन्म 26 फरवरी 1958 को बिहार के भागलपुर जिले में हुआ। शिक्षा एम.ए, बी.एड, पीएच.डी भागलपुर यूनिवर्सिटी, बिहार। पत्रकारिता में 1987 से बिहार और झारखंड में काम किया। उप-संपादक नवभारत टाइम्स, पटना और सीनियर रिपोर्टर हिंदुस्तान टाइम्स, राँची में रह चुके। अब तक प्रकाशित पुस्तकें- हिंदुस्तान टाइम्स के साथ मेरे दिन, प्रथम बिहारी- दीप नारायण सिंह (1875-1935), राष्ट्रवादी मुसलमान (1885-1934), मुस्लिम सियासत, हमसाया, राजमहल, बिहार 1911, राज्यश्री, नादिरा बेगम 1777, सरकार बाबू, चंदना, गुलरुख़ बेगम 1661 और दि सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस।
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