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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहम सब के लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि पिछले एक-दो वर्षों से भारत में वैदिक ज्ञान, संस्कृति एवं आचरण के वैज्ञानिकता के ऊपर चर्चाएं होने लगी हैं एवं कई जगह कक्षायें भी शुरू की गयी हैं| हम और भी भाग्यशाली है की भारत का वैदिक विज्ञान का पहला अध्ययन केंद्र सर्व आराध्य भारत रत्न से सम्मानित पण्डित मदन मोहन मालवीय जी के बगिया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शुरू हुआ| एक अतिथि शिक्षक के तौर पर कई कक्षाएं लेने का भी सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है|
किसी भी विद्यालय में अलग विषयों के अनेकों छात्र-छात्रायें पढ़ने लिखने तो आते ही है, मगर कुछ छात्र या छात्रायें अपने किसी विषय पर इतना अधिक गहन अध्ययन करने लगते है कि हम उन्हें मेधावी छात्र या छात्रा कहते हैं|
ऐसी ही एक छात्रा सुश्री नेहा सिंह है जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के वैदिक विज्ञान केन्द्र के प्रथम सत्र की छात्रा हैं, जिन्होंने कम समय में अधिक से अधिक जानने का निरंतर प्रयास किया और अपने वैदिक विज्ञान का गहन अध्ययन करना जैसे एक तपस्या ही मान लिया हो| ललित कला से स्नातकोत्तर होने के बाद, वैदिक विज्ञान विषय को पढ़ने एवं जानने में इतना रूचि रखना आज के नव-युवाओं में बहुत कम देखा गया है|
सुश्री नेहा सिंह द्वारा लिखित “वैदिक विज्ञान – सरल एवं संक्षिप्त परिचय” नामक पुस्तक में वैदिक साहित्य के सक्षिप्त परिचय के साथ साथ हम सबके आम जीवन में अपनाने वाले कई आचरण एवं संस्कृतियों का सरल परिचय देने का प्रयास किया गया है जो किसी भी व्यक्ति को समझने के लिये बहुत आसान है | इनका प्रयास वास्तव में अति प्रशंसनीय एवं सराहनीय है|
नेहा सिंह
सुश्री नेहा सिंह, भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी की एक बहुत ही प्रतिभाशाली कलाकार हैं| आपका जन्म महर्षियों की तपोस्थली बलिया उत्तर प्रदेश में हुआ है तथा माता जी गृहणी व पिता जी भारतीय सेना में कार्यरत हैं | आप काशी हिन्दू विश्वविद्दालय के वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रथम सत्र की छात्रा हैं | आपने वाराणसी के महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से ललित कला में स्नातकोत्तर करने के बाद भारतीय वैदिक ग्रन्थों, 'भगवद्गीता' तथा 'राम' आदि विषयों में अत्यंत रूचि होने के कारण काशी हिन्दू विश्वविद्दालय के वैदिक विज्ञान केंद्र से एक मेधावी छात्रा के रूप में अपना अध्ययन कर रही हैं ।
आपका नाम दो दो बार अलग अलग विश्व रिकॉर्ड में भी दर्ज है । सोलह लाख मोतियों से एक विशाल ‘’भारत का नक्शा’’ बनाकर पहली बार 'वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया' में अपना नाम दर्ज किया और 449 फ़ीट कपड़े पर 38417 अँगुलियों के निशान से पूरा ‘’हनुमान चालीसा’’ लिखकर 'यूरेशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड' में अपना दूसरा रिकॉर्ड दर्ज किया ।
अपने हाथ से बने चित्रों द्वारा विश्व का पहला 'दशोपनिषद्' का डिजिटल प्रिंटेड एल्बम का यह पुस्तक रूपांतरण है, इसमें सरल शब्दों में 'दशोपनिषद्' का सारांश हिन्दी एवं अंग्रेजी में दिया हुआ है जो अत्यंत मनोहारी दृश्य एवं ज्ञान वर्धक प्रस्तुति है ।
आप एक चित्रकार के साथ साथ एक कुशल प्राणिक हीलर, लेखिका, कवियत्री, स्वच्छंद (स्वतंत्र) समाज सेविका, कला चिकित्सक, टैरो कार्ड रीडर आदि बहुगुणी प्रतिभा की भी धनी हैं |
आपको इंटरनेशनल बिज़नेस एसोसिएशन, नई दिल्ली द्वारा ’भारत गौरव रत्न’ सम्मान प्राप्त है । उत्तर प्रदेश में दैनिक जागरण एवं कई अलग अलग संस्थाओं द्वारा यू० पी० गौरव सम्मान, नारी शक्ति सम्मान, काशी शक्ति सम्मान, सशक्त नारी-सशक्त भारत सम्मान, यू०पी० गौरव अलंकरण, हनुमत कृपा भूषण सम्मान आदि अनेकों सम्मान से सम्मानित किया गया है |
आप दशोपनिषद् के अलावा 'राम नाम शास्त्र है', 'जीवन दर्शन गीता', '151 उपनिषद् सारांश, 'वैदिक विज्ञान – सरल एवं संक्षिप्त गीता’, 'पंचतत्व विद्या', ‘आत्म गीतिका’ आदि पुस्तकों की भी लेखिका हैं ।
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