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Vishvamanava-bhutapurva netrutvakartaoan ka spashtikaran / विश्वमानव-भूतपूर्व नेतृत्वकर्ताओं का स्पष्टिकरण

Author Name: Lava Kush Singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विषय- सूची

भाग-1 : भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के पूर्व जन्में भूतपूर्व नेतृत्वकर्ता

01. महात्मा गाँधी (2 अक्टुबर, 1869 - 30 जनवरी, 1948)
02. सरदार वल्लभ भाई पटेल (31 अक्टुबर, 1875 - 15 दिसम्बर, 1950)
03. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन् (5 सितम्बर, 1888 - 17 अप्रैल 1975)
04. पं0 जवाहर लाल नेहरु (14 नवम्बर, 1889 - 27 मई, 1964)
05. बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 - 6 दिसम्बर, 1956)
06. लोकनायक जय प्रकाश नारायण (11 अक्टुबर, 1902 - 8 अक्टुबर, 1979)
07. लाल बहादुर शास्त्री (2 अक्टुबर, 1904 - 11 जनवरी 1966)
08. राम मनोहर लोहिया (23 मार्च, 1910 - 12 अक्टुबर, 1967)
09. आर.वेंकटरामन (4 दिसम्बर, 1910 - 27 जनवरी, 2009)
10. पं0 दीन दयाल उपाध्याय (25 सितम्बर, 1916 - 11 फरवरी, 1968)
11. इन्दिरा गाँधी (19 नवम्बर, 1917 - 31 अक्टुबर, 1984)
12. शंकर दयाल शर्मा (19 अगस्त, 1918 - 26 दिसम्बर, 1999)
13. जान पाल, द्वितीय (18 मई, 1920 - 2 अप्रैल 2005)
14. के.आर.नारायणन (27 अक्टुबर, 1920 - 9 नवम्बर, 2005)
15. अशोक सिंघल ( 27 सितम्बर 1926 - 17 नवम्बर 2015)
16. चन्द्रशेखर (1 जुलाई, 1927 - 8 जुलाई, 2007)
17. रोमेश भण्डारी (29 मार्च, 1928 - 7 सितम्बर, 2013)
18. के. एस. सुदर्शन (18 जून, 1931 - 15 सितम्बर, 2012)
19. विश्वनाथ प्रताप सिंह (25 जून, 1931 - 27 नवम्बर, 2008)
20. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (15 अक्टुबर, 1931 - 27 जुलाई 2015)
21. स्वामी शिवानन्द (माघ शुक्ल बसन्त पंचमी, सरस्वती जन्मोत्सव, 1932 ई0 में - )
22. राजीव गाँधी (20, अगस्त, 1944 - 21 मई, 1991) 

भाग-2 : भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के बाद जन्में भूतपूर्व नेतृत्वकर्ता

01. राजीव दीक्षित (30 नवम्बर 1967 - 30 नवम्बर 2010)

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लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

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