क्रश

By Nikhil Patel in Romance
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देखा जाए तो दुनिया में सबसे हानिकारक कोई चीज़ है तो वह है प्यार... यह कहानी धारा नाम की एक लड़की की है जो एक लड़के को पसंद करती है लेकिन उसे कभी कह नहि पायी...

पहला दिन

तो कहानी शुरू होती है १२वी से.. उसका नाम शौरभ था जिससे धारा प्यार कर बेठती है। दरसल धारा १२ वी में थी वह अपने गाँव से पढ़ने के लिए बस में आती जाती थी तो एक बार उसे शौरभ दिखा शौरभ उसके पास आकार बैठ जाता है वह शर्मा जाती है और खिड़की से बाहर देखने लगती है, लेकिन शौरभ काफ़ी आराम से बैठ कर गाने सुन रहा था और अपने फ़ोन में व्यस्त था थोड़ी देर के बाद बस खड़ी रही और दोनो उतर कर अपने अपने रास्ते पर चल पड़े.. उस दिन तो दोनो के बीच बात नहि हुई पर मुलाक़ात ज़रूर हुई..

दूसरा दिन

दूसरे दिन फिर वह अकेले बैठे बैठे गाने सुन रही थी तभी वहा पर फिर से शौरभ चढ़ता है और वह अपने आस पास देखता है सभी सीट पर कोई ना कोई बैठा हुआ था और धारा के बग़ल में उसकी दोस्त बैठी हुई थी वह वहाँ से खड़ी होती है और शौरभ को पुकारती है वह यह देख कर हैरान हो जाती है, शौरभ पास में आता है उनके साथ आकार खड़ा रह जाता है । दोनो बात कर रहे थे और दूसरी तरफ़ धारा दूसरी तरफ़ देखते हुए सारी बातें चुपके से सुन रही थी .. थोड़ी देर में बस खड़ी रह गयी और सभी बस से उतर के अपने अपने रास्ते पर चल पड़े धारा तुरंत उसकी दोस्त प्रिया को खड़ी रखती है और उसे शौरभ के बारें में पूछती है.. वह उसे बताती है कि शौरभ b.com कर रहा था उसका कॉलेज धारा के स्कूल के बिलकुल पास ही था वह अपना सिर हिलाकर चल पड़ती है वह पूरे दिन उसके बारे में ही सोचती रहती है.. आज की मुलाक़ात में भी सिर्फ़ इतना ही...

तीसरा दिन

तीसरे दिन धारा घर से तैयार होकर आती है और आज वह दूसरी सीट पर बेठती है और अपनी बग़ल की सीट पर अपना बसता रख देती है ताकि वहाँ पर कोई बैठे नहि प्रिया के पूछने पर कहने लगी की बस यूँही आज मुझे खिड़की के पास बैठना है यह बहाना बना कर वह अकेली बैठ गयी जैसे ही बस खड़ी रही और धारा को पता चला की यह तो शौरभ का गाँव है वह तुरंत बाहर देखने लगी और उसे देख कर अपना बसता हटा दिया थोड़ी देर में शौरभ ऊपर आया और उसके पास आकार बैठ गया, दोनो एक दूसरे की तरफ़ देख कर मुस्कुराते है और फिर धारा बाहर देखने लगती है और शौरभ अपने फ़ोन में...धारा शर्मा कर ख़्वाब बूँदने लगती है वह धीरे धीरे शौरभ को पसंद करने लगी थी ..

एसा नहि था की धारा प्यार करती थी वह खुद जानती थी की वह शौरभ से प्यार नहि करती बस उसे वह पसंद है पर फिर भी वह यह सोच रही थी की किसी भी तरह से शौरभ के साथ दोस्ती हो जाए और धीरे - धीरे एक दूसरे को जान ले तो शायद आगे जाके प्यार भी हो जाए... यही सोचते सोचते दोनो की मंज़िल आ जाती है और फिर वह दोनो फिर से अपने अपने रास्ते चल पड़ते है..

चौथा दिन

धारा आज फिर से अच्छे से तैयार होकर आयी थी आज फिर उसने वैसे ही एक सीट ख़ाली रखी वह बड़े उत्साह से शौरभ का इंतज़ार कर रही थी पर शौरभ उस दिन नहि आया.. वह उदास हो गयी और फिर चूप - चाप अपनी दोस्त के पास जाकर बैठ गयी.. आज तो कोई मुलाक़ात ही नहि हुई..

पाँचवा दिन

धारा बैठी हुई थी तभी उसके पास प्रिया आती है और एक खबर सुनाती है वह सुन कर धारा के होश उड़ जाते है वह खबर यह थी की शौरभ किसी लड़की के साथ भाग गया और उसने शादी कर ली.. धारा के पैरो के नीचे से ज़मीन निकल जाती है और वह मन ही मन खुद पर हसने लगती है..

मैं जानता हूँ कि यह कहानी में प्यार नहि है पर क्या हमारे साथ एसा नहि होता.. ?? कई बार होता है की हम किसीको पसंद करते है और वह इंसान किसी और को.. ज़िंदगी में एक बार नहि कई बार होता है एसे छोटे-छोटे क्रश ..

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