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apna paraaya / अपना-पराया

Author Name: Munish Bhatia | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

पूरी ज़िन्दगी अपने प्रिय जनों के जीवन में खुशियाँ भरने में हम इतने मशगूल हो जाते हैं कि खुद के दिल  की हसरतें  अधूरी रह जाती हैं I जीवन के अंतिम  पड़ाव पर यही ख्वाहिशें, यादों से अपने खो चुके लम्हों का हक मांगने के लिए कराह उठती हैं और ज़िन्दगी से सवाल करती हैं कि कब तक अपनी चाहतों को दूसरों की ख़ातिर नीलाम करते रहोगे  और खुद के लिए जीना कब शुरू करोगे...

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मुनीष भाटिया

मुनीष भाटिया 

जन्म: 24 मई 1973 

स्थान: यमुनानगर (हरियाणा)

शिक्षा: वाणिज्य स्नातक  

उपलब्धियां: विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित आलेख एवं कविताएँ  I 

प्रकाशन: दो कविता संग्रह “तुम्हारी यादें” व् “अल्पविराम”एवं एक आलेख संग्रह “अभिव्यक्ति” तथा तीन लघु-कविता संग्रह  “जीना कब शुरू करोगे”, “प्रिय उम्मीद” और “इश्क की  कहानियां” 

           संपर्क:

178, सेक्टर -2,

अर्बन एस्टेट, 

कुरुक्षेत्र- हरियाणा 

9416457695

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