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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
इतिहास के पन्ने, इस्लाम के भारत में प्रवेश के आगे पीछे के दशकों की अवधि में
घटी, जनमानस को त्रस्त करने वाली घटनाओं को लेकर अधिक मुखर नहीं है| उस
कालखंड में पश्चिमी भारतीय आँचल सुलगता रहा, सिसकता रहा और विवश होकर
श्री राम के पथ से रहीम के मार्ग की ओर घकेला जाता रहा, किन्तु शेष भारत के
शासकों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी| शासक वर्गों की कछुआवृति और कतिपय बौद्धों
के अहं की परतों में दबे जनसामान्य के नि:श्वासों की आहंट की अनुगूँज ने, सिद्ध
स्थिति तक पहुँचे, माटी से उभरे एक सिद्ध संत को इस सीमा तक उद्वेलित कर
दिया कि उसके संकेतों पर गोत्र और स्वार्थ की कमजोरियों से बंधे भीनमाल, कन्नोज
एवं चित्तौडगढ़ जैसे राज्यों में सत्ता परिवर्तन करवाया गया| सांभर, जैसलमेर, कच्छ,
भीनमाल, चित्तौड़, अजयमेरु के युवकों की एक सम्मिलित सेना का गठन कराया
गया और उसका नैतृत्व सौपा गया चित्तोडगढ के एक महत्वा कांक्षी किन्तु अति
विनम्र युवा नृपति को| सेना ने पश्चिम की ओर से बढ़ रही हरी आंधी के प्रवाह को
इस सीमा तक कुचला कि जो इस्लाम कुछ ही वर्षों में उत्तरी अफ्रीका को लील गया,
उसे तीनसो वर्षों तक के वल सिधं प्रांत में ही कदमताल करना पड़ा और वह शषे भारत
की और आगे नहीं बढ़ पाया|
इतिहास एवं साहित्य की पुस्तकों मेँ छितराए साक्ष्यों कें आधार पर महाराज हर्ष कें
बाद की समयावधि में भारतवर्ष की राजनैतिक हलचलों की समीक्षा कर उस कालखंड
के महर्षि श्री हारीत ओर उनके शिष्य श्री बप्पा रावल द्वा रा जनहित मेँ किए गए
प्रयत्नो कों औपन्यासिक सूत्रो मेँ बांधने की सफल परिणति है यह कृति, “महर्षि श्री
हारित एवं श्री बप्पारावल”| इस विषय पर देश का यह प्रथम शोधपरक उपन्यास है|
Important Points About the Book:
वे विशेष प्रकरण जो इस उपन्यास में सम्मिलित है-
- महाराजा हर्ष के राज्य कवि श्री बाणभट्ट की गुजरात यात्रा
- युवा साधक श्री हारीत से बाणभट्ट की भेंट
- साधक श्री हारीत का कायावरोहण (लकुलीश संप्रदाय का केंद्र) में अध्ययन
- श्री हारीत की भारत यात्रा –
- तिरुहुत पर बौद्ध आक्रमण और भारत में बौद्दों के बारे में नफरत
- श्री हारीत की पश्चिमी भारत की यात्रा| इस्लामी आक्रमण की आंहट |
- सिंध नरेश श्री चचदेव एवं श्री दाहर से श्री हारित की भेंट और तत्कालीन सिंध की समस्याएँ
- श्री हारीत द्वारा जनसामान्य के हितों के लिए सेना का गठन
- श्री हारीत कवि श्री माघ एवं कुमारिल भट्ट
- भीनमाल में सत्ता परिवर्तन / कन्नोज में सत्ता परिवर्तन
- बप्पारावल का गुप्तरूप से संरक्षण /नागदा के पुरोहित की भूमिका
- नागदा के पुरोहित, श्री हारीत एवं बप्पारावल (कालभोज)
- मुहम्मद बिनकासिम की विजय , जन पलायन, और श्री हारीत का योगदान
- चित्तोड़ पर आक्रमण, बप्पा के द्वारा आक्रमण को कुचलना
- बप्पा के नैतृत्व में पश्चिमी राज्यों की सम्मिलित सेना का गठन
- बप्पा का सैन्य अभियान
- बप्पा का खुरासान में विवाह
- देवल की सभा और देवल स्मृति
- बप्पा द्वारा वल्लभी में सत्ता परिवर्तन
- बप्पा का CHITTUOD चित्तौड़ विजय के बाद चित्तौड़ आगमन
बप्पा द्वारा सन्यास ग्रहण
श्याम सुन्दर भट्ट
श्री श्याम सुन्दर भट्ट राजस्थान के प्रतिष्ठित शिक्षक, शिक्षाविद एंव
ऐतिहासिक पात्रो को औपन्यासिक विधाओ में उकेरने मे कुशल लेखक हें|
आपकी अब तक प्रकाशित 24 पुस्तकों मे से 15 ऐतिहासिक उपन्यास है|
महाराणा प्रताप पर आधारित आपका उपन्यास राजस्थान माध्यमिक शिक्षा
बोर्ड के पाठ्यक्रम का भाग भी रहा है | मेवाड़ एवं सिधं के अतिरिक्त फीजी
के प्रवासी भारतीय समाज पर आपका उपन्यास “बंद मुट्ठियों कें सपने” एवं
श्री परशुरामजी कें जीवन पर आधारित “कालजयी श्री परशुराम” भी चर्चित रहे है| “सांस्कृतिक
भूगोल कोष” आपकी विशेष देन है|
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