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Muktkanth se / मुक्तकंठ से अँधेरे पर प्रकाश

Author Name: Abhinav Upadhyay | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

समाज, धर्म, प्रथा, कला, विज्ञान, देश तथा समग्र संसार या किसी भी चीज़ के विकाश और सुधार हेतु सबसे अधिक आवश्यक है उसकी आलोचना और इसी प्रकार मानव प्रजाति के बौधिक तथा संपूर्ण रूप से विकाश और विस्तार के लिए उनका आलोचनात्मक होना अनिवार्य है, आलोचनात्मक होने के लिए जितना जरूरी है विभिन्न दृष्टियों से सोच समझ पाने की क्षमता और निस्पक्षता उतना ही जरूरी है आलोचन करता का मुक्तकंठ होना। 

और इसी आलोचनात्मकता पर आधारित है अभिनव उपाध्याय द्वारा लिखी यह किताब, मुक्तकंठ से: अँधेरे पर प्रकाश। 
यह किताब कुछ आलोचनात्मक कविताओं 
का संग्रह है। ऐसी कविताएँ जो की समाज के विभिन्न अंगों की बात करती है, समाज में चली आ रही कुरीतियों- नीतियों की निंदा करतीं हैं साथ ही समाज के कुछ पिछड़े विचारों की सुधार की मांग करती हैं वही देश  दुनिया की कुछ बातों पर प्रकाश डालती हैं। वहीं कुछ कविताएँ युद्ध के प्रभाव से होने वाले क्षति पर भी नज़र डालती हैं और मानवता से गुहार लगाती हैं, आगे बढ़ने की विकसित होने की, संवेदनशील होने की, सहानुभूतिशील होने के, सभी चीजों के परे सर्वप्रथम मानव होने की। 

यह कविताएँ साथ ही आवाज़ है अधिकार के लिए, दमन के खिलाफ, अमन के साथ, विरोध की।

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अभिनव उपाध्याय

अभिनव उपाध्याय, साहित्यिक उपनाम अभिनव प्रकाश के नाम से लिखते है। वे यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता (कलकत्ता विश्वविद्यालय) के बंगाबासी कॉलेज में समाजशास्त्र के प्रथम वर्ष के छात्र है। बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले अभिनव, एक दसक से भी अधिक से बंगाल में प्रोफेशनल क्लब क्रिकेट खेलते हैं। उन्होंने साथ ही मर्टियल आर्ट में भी डिग्री हासिल की है।वे कविताएँ,गीत, कहानियाँ और समाज की नीतियों, रीतियों पर आलोचनात्मक लेख लिखते है।

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