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Mystry of Diary / डायरी का राज रहस्यात्मक उपन्यास

Author Name: Virendra Kumar Dewangan | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

पुस्तक-विवरण
प्रवेश अपसेट सा बोला,‘‘लगता है मेरी डायरी कहीं गिर गई है। मैं जाता हूं। देखता हूं।’’ कहकर वह निकलने ही वाला था कि विकास उठता हुआ बोला, ‘‘पहले अपना बिगड़ा हुआ हुलिया ठीक कर। कपड़े बदल। हाथ-मुंह घो।’’ 
‘‘हुलिया चेंज करने और कपड़े बदलने का वक्त कहां है मेरे पास। इससे तो और देर हो जाएगी। कहीं गिरा होगा, तो कोई उठाकर चलता बनेगा। डायरी मेरे लिए बेशकीमती है।’’ प्रवेश पलटकर रूम के दरवाजे तक पहुंचते हुए बेरूखी से जवाब दिया।-इसी किताब से
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वीरेंद्र देवांगन


लेखक-परिचय
 लेखक शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त हैं। उनकी तीन दर्जन से अधिक किताबें अमेजन किंडल, ब्लूरोज पब्लिकेशन एवं नोशन प्रेस में छपी हैं, जिनमें लघुकथाएं, व्यंग्य-रचनाएं, बालकथाएं, उपन्यास, बाल-उपन्यास, जीवनियां और प्रबंध-निबंध प्रमुख हैं। 
उनके द्वारा रचित कृतियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। वे प्रतियोगिता पत्रिकाओं के लिए भी लिखते हैं।
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