You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआवश्यकता और इच्छा का द्धन्द्ध जीवन में बना रहता है। हमारी आवश्यकता पूर्ण होते ही इच्छा के प्रभाव में नई आवश्यकता जन्म ले लेती है। इच्छा ही आवश्यकता की जननी है। इच्छा पर नियंत्रण के लिए मेडिटेशन का अभ्यास, अच्छी संगत और शुद्ध खान पान जरूरी है। अशुद्ध धन से अशुद्ध अन्न, अशुद्ध मन और अशुद्ध तन का जन्म होता है।
इच्छा पर नियंत्रण के लिए अनुशासन जरूरी है। अनुशासन के लिए प्रेरणा का होना जरूरी है जो हमारे भीतर से आता है और इसके लिए मोटिवेशन का होना भी जरूरी होता है जो बाहर से आता है। जब बाह्य तत्व अथवा आधार कमजोर पड़ जाते हैं तब हमारा मोटिवेशन भी ढीला पड़ जाता है। जैसे जब पानी को गर्म करने के लिए गैस के चूल्हे पर रखते हैं तब वह गर्म होने लगता है लेकिन गैस बंद करते ही पुनः ठंडा होने लगता है। ऐसे ही हमारे जीवन में भी होता है।
जब हम अच्छी संगत में रहते हैं अथवा अच्छे वातावरण में रहते हैं तब अच्छा फील करते हैं और मोटीवेट होते हैं। लेकिन, इसके खत्म होते ही हमारा मोटिवेशन का स्तर नीचे आने लगता है। इसलिए हमारे अंदर की आने की प्रेरणा का होना जरूरी है। जब अंदर से प्रेरणा आती है तब बाहर से किसी मोटिवेशन की जरूरत नही पड़ती है। इसलिए हमें सेल्फ हीलिंग के लिए प्रेरणा को विकसित करना होगा। यदि स्वउन्नति को जीवन की प्राथमिकता में लाएंगे और अनुशासन में रहकर प्रैक्टिस करेंगे इसके बाद इससे धीरे-धीरे मिलने वाले पॉजिटिव रिजल्ट से स्वयं प्रेरित होते रहेंगे। स्व उन्नति के लिए अटेंशन, सजगता अथवा दृढ़संकल्प का होना जरूरी है।
मनोज श्रीवास्तव डॉ० शिप्रा मिश्रा
मनोज कुमार श्रीवास्तव जीवन की चुनौतियों को सार्वभौम अध्यात्मिक मानवीय मूल्यों के आधार पर समाधान प्रस्तुत करते है। आमजन भाषा के माध्यम से अध्यात्मिक मानवीय मूल्य को आधार बनकर तनाव प्रबन्धन, समय प्रबन्धन, स्वः प्रबन्धन को व्यवहारिक रूप देते है। कम मेहनत और अधिक सफलता का आधार रख कर जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य निर्धारित करते है।
उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ जनपद के मूल निवासी श्री श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विभिन्न विषयों का अध्ययन किया और उत्तराखण्ड पी0सी0एस0 2002 बैच, प्रशासनिक सेवा, सूचना विभाग में चयनित हुए।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.