‘पेनाल्टी कॉर्नर’ की कहानियाँ झारखंड के औपनिवेशिक शोषण-दमन और उससे उपजी सामाजिक-सांस्कृतिक विसंगतियों-विकृतियों को बेहद बारीकी से रेखांकित करती है। इनसे गुजरते हुए कई बार आँखों में आंसू आ जाते हैं, कई बार अनायास ही मुट्ठियां तन जाती हैं। राहत तब मिलती है जब इनके अनेक पात्र जुल्मों के खिलाफ तन कर खड़े हुए दीखते हैं। सही माने में माटी के दुसह दर्द के गहरे एहसास के बिना ऐसी रचनाएं संभव नहीं होती। झारखंड के जन-जीवन को संदर्भित करने वाली ऐसी रचनाएं और रचनाकार बहुत व