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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal“समय की रेत पर” में प्रियंका सौरभ के हमारी विरासत और संस्कृति के साथ लोकहित के ज्वलंत मुद्दों पर 43 निबंध संकलित हैं। इस पुस्तक का शीर्षक “समय की रेत पर” अत्यंत सार्थक है। इस पुस्तक के निबंधों में लेखिका ने सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के विषयों जैसे-खंडित हो रहे परिवार, धर्म, मिट्टी के घर, देशभक्ति के मायने, आस्था पर निशाने, चरित्र शिक्षा, अंधविश्वास का दलदल, पुरस्कारों का बढ़ता बाजार, हमारी सोच, अंतरात्मा की आवाज, तीर्थयात्रा, जीवन की आपाधापी, पत्थर होती मानवीय संवेदना, संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते, रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार, सनातन धर्म' के बदलते अर्थ, बदलती रामलीला, शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन, घर की दहलीज से दूर होते बुजुर्ग, प्रतिष्ठा की हानि, मूल आधार है हमारे सामाजिक त्यौहार, अपनों से बेईमानी, पतन की निशानी, रामायण सनातन संस्कृति की आधारशिला, विरासत हमें सचमुच बताती हैं कि हम कौन हैं, राष्ट्रीय अस्मिता, सभ्यता, महिला सशक्तिकरण, भाषा और साहित्य इत्यादि विषयों पर गहरे विश्लेषण के साथ तर्कसम्मत, व्यावहारिक और ठोस चिंतन बहुत ही मुखर ढंग से प्रस्तुत किए हैं। कुल मिलाकर यह कृति हमरी विरसत,संस्कृति, मानवीय चेतना एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों की गहन पड़ताल करती है। पुस्तक पठनीय ही नहीं, चिन्तन मनन करने योग्य, देश के कर्णधारों को दिशा देती हुई और क्रियान्वयन का आह्वान करती वैचारिक विमर्श की समसामयिक कृति है। “समय की रेत पर” हमारी संस्कृति और विरासत से जुड़े समकालीन निबंधों का सशक्त दस्तावेज़ है।
प्रियंका सौरभ
युवा लेखिका 'प्रियंका सौरभ' की, जो मौजूदा समय में महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं और अपनी कलम से नारी जगत के लिए आवाज उठा रही हैं। कविता के अलावा वे प्रतिदिन अपने संपादकीय लेखों से विभिन्न भाषाओं में लेखन कार्य कर रही हैं। उनकी कई पुस्तकें हाल ही में प्रकाशित हुई हैं। इनमें सामाजिक और राजनीतिक जीवन की कड़वी सच्चाई को व्यक्त करने वाले निबंध 'दीमक लगे गुलाब' और आधुनिक नारी की समस्याओं से रूबरू कराने वाली 'निर्भयाएं' शामिल हैं। इन दो किताबों के अलावा हर क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति पर आधारित अंग्रेजी में 'द फीयरलेस' किताब शामिल है।
युवा लेखिका प्रियंका सौरभ' लगातार महिलाओं की समस्याओं पर लिखती रही हैं। प्रकाशित पुस्तकों में प्रियंका सौरभ ने आधुनिक नारी की वर्तमान समस्याओं को रखा है, जो वर्तमान में कहीं न कहीं उनके जीवन को प्रभावित कर रही हैं। प्रियंका सौरभ का जन्म आर्यनगर, हिसार, हरियाणा में हुआ। उनके पिता सुमेर सिंह उब्बा एक कानूनगो हैं और मां रोशनी देवी एक गृहिणी हैं। बचपन से ही उन्हें लिखने-पढ़ने का शौक रहा है। ये राजनीति विज्ञान में मास्टर और एमफिल हैं। वर्तमान में वे रिसर्च स्कॉलर हैं और हरियाणा सरकार में सीनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आर्यनगर गांव से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और एमफिल की शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही उनकी साहित्य में रुचि रही है। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने अपनी साहित्यिक रुचि नहीं छोड़ी। और अपना लेखन कार्य जारी रखा। कविता लेखन के साथ-साथ उन्हें संपादकीय लेखन का भी शौक है। प्रतिदिन उनके संपादकीय लेख देश भर के समाचार पत्रों में विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। प्रियंका ने अपनी पुस्तकों के प्रकाशन को समय का सदुपयोग बताया। इस दौरान उन्हें अपना क्रिएटिव लेवल बढ़ाने का मौका मिला है। फलस्वरूप इनकी कई पुस्तकें साहित्य जगत में आई हैं।
प्रियंका सौरभ ने पिछले 10 वर्षों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से संबंधित कई संस्थानों और संगठनों में विभिन्न पदों पर कार्य किया है और 2021 में उन्हें 'आईपीएस मनुमुक्त' मानव 'राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। उनकी साहित्यिक और शैक्षणिक उपलब्धियों के परिणामस्वरूप, प्रियंका सौरभ को वर्ल्ड पीस फाउंडेशन द्वारा 'मानद डॉक्टरेट' से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2022 में, उन्हें दिल्ली में 'नारी रत्न पुरस्कार' और रोहतक में 'हरियाणा की शक्तिशाली महिला पुरस्कार' से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और गजेंद्र चौहान, भारतीय महाकाव्य महाभारत के युधिष्ठिर ने इनको सम्मानित किया।
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