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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपाककला पर यह पुस्तक प्रकाशित करने का उद्देश्य --- पाक कला की विधियों को सरल,सुरुचिपूर्ण व कम सामग्री द्वारा बनाकर नई पीढ़ी तक पहुंचाना ही मेरा उद्देश्य है।
जो बच्चे घर से दूर छात्रावास में रहते हैं यह पुस्तक उनके लिए भी अवश्य सहायक सिद्ध होगी। इसलिए मैंने पाक कला की विधियों के साथ भोजन की छवियों को भी सम्मिलित किया है, जिससे कोई भी निसंशय होकर कम समय में भोजन पका सके।
पाक कला की एक विधि को छवि सहित लिखने में मुझे 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है।
भोजन पकाना एक प्रेम पूर्ण कार्य है किसी के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का यह सर्वोत्तम माध्यम है ।कहा भी गया है ------- दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है ।
भारतीय परिवारों में भगवान को भोग लगाने की भी प्रथा है । भगवान को भोग लगाने से भोजन प्रसाद बन जाता है।
भोजन के समय ही परिवार के सदस्य अपने दिन भर के अनुभव को साझा करते हैं ।सुरुचिपूर्ण व सुस्वादु भोजन के साथ घर का माहौल खुशनुमा व ह्रदय और भी अधिक आनंदित हो जाते है।
करूणा ओम
परिचय --------
मैं करुणा ओम पिछले 5 वर्षों (2017) से बद्रिका आश्रम (हिमाचल प्रदेश) की निवासी हूं। यहां आने से पहले मैं मात्र एक गृहणी ही थी।
मेरे गुरुदेव 'ओम स्वामी जी 'के द्वारा दिए गए मंच (os.me) पर आश्रम के अनुयायियों की प्रेरणा ,आग्रह व प्रोत्साहन पर मैंने लिखना शुरू किया।
अपने परिवार के प्रति अत्यधिक प्रेम के कारण पाक कला में नए-नए प्रयोग करना मेरा शौक बन गया।
यह पुस्तक मेरे जीवन के 33 वर्षों का सार है।
मुझे सात्विक व स्वादिष्ट भोजन पकाना पसंद है क्योंकि मैंने बचपन से अपनी मां द्वारा बनाया हुआ स्वादिष्ट भोजन ही खाया है।
किसी को भी भोजन बनाकर खिलाने पर मुझे एक सुखद अहसास व आनंद की अनुभूति होती है।
पाककला पर यह पुस्तक प्रकाशित करने का उद्देश्य --- पाक कला की विधियों को सरल,सुरुचिपूर्ण व कम सामग्री द्वारा बनाकर नई पीढ़ी तक पहुंचाना ही मेरा उद्देश्य है।
जो बच्चे घर से दूर छात्रावास में रहते हैं यह पुस्तक उनके लिए भी अवश्य सहायक सिद्ध होगी। इसलिए मैंने पाक कला की विधियों के साथ भोजन की छवियों को भी सम्मिलित किया है ,जिससे कोई भी निसंशय होकर कम समय में भोजन पका सके।
पाक कला की एक विधि को छवि सहित लिखने में मुझे 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है।
भोजन पकाना एक प्रेम पूर्ण कार्य है किसी के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का यह सर्वोत्तम माध्यम है ।कहा भी गया है -------दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है।
भारतीय परिवारों में भगवान को भोग लगाने की भी प्रथा है। भगवान को भोग लगाने से भोजन प्रसाद बन जाता है।
भोजन के समय ही परिवार के सदस्य अपने दिन भर के अनुभव को साझा करते हैं ।सुरुचिपूर्ण व सुस्वादु भोजन के साथ घर का माहौल खुशनुमा व ह्रदय और भी अधिक आनंदित हो जाते है।
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