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Hindi Kavita: Bodh se Mimansa Tak / हिंदी कविता : बोध से मीमांसा तक कवि और कविता की ज़रुरत पर सार्थक विमर्श

Author Name: Editor Kumar Saurabh | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

यह पुस्तक कविता और कवियों की रचना-प्रक्रिया की विवेचना करते हुए मानव जीवन में उसकी भूमिका को विश्लेषित करती है| साथ ही वर्तमान समय में कविता की घटती लोकप्रियता के कारणों की पड़ताल तथा हिंदी कविता से संबंधित रूढ़ मान्यताओं का खंडन कर नयी काव्य-दृष्टि को विकसित करने का यत्न करती है| गद्य का संबंध विचार से तथा कविता का संबंध भाव से होता है जैसे पारंपरिक सरलीकरण को नकारती यह पुस्तक एक ओर जहाँ पाठक में सम्यक काव्य-बोध विकसित करती है, वहीं दूसरी ओर हिंदी कवियों के मूल्य और वैचारिक सरोकारों को स्पष्ट करने की कोशिश करती है| यह पुस्तक हिन्दी कविता में रूचि रखने वाले सुधि पाठकों तथा और अध्यापकों के लिए उपयोगी है| 

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कुमार सौरभ

कुमार सौरभ ने टी. एन.बी. महाविद्यालय,भागलपुर से स्नातक, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से बी.एड. तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की है| विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) की ओर से इन्हें शोध कार्य के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जे.आर.एफ) तथा सीनियर रिसर्च फेलोशिप (एस.आर.एफ.) प्राप्त हुआ है| वर्तमान में हिंदी विभाग तेजपुर विश्वविद्यालय, असम से “कुँवर नारायण के काव्य में जीवन-दृष्टि एवं मूल्य-बोध” विषय पर शोध कर रहे हैं| अपने विश्वविद्यालयी जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही इन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं एवं सृजनात्मक लेखन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा दर्जनों पुरस्कार अपने नाम किए| कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय  संगोष्ठियों में इनके प्रपत्र वाचन को सराहा गया है| कहानी, कविता एवं आलोचना में समान रूप से अभिरूचि रखने वाले कुमार सौरभ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेखन कार्य के लिए निरंतर प्रयासरत हैं| इनकी कविताएँ, कहानियाँ एवं शोधलेख भारतीय पत्र-पत्रिकाओं के अलावा पिट्सबर्ग अमेरिका से निकलने वाली अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘सेतु’ में भी प्रकाशित हुई हैं|

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